अजमेर. 17 जून, हिन्दुस्तान के विभाजन से पूर्व सिंध में स्वतंत्रता आंदोलन में ब्रिटिश सत्ता से लोहा लेने वाले और सशस्त्र मुकाबला करने के कारण फांसी की सजा से वीरगति प्राप्त करने वाले तीन राष्ट्र भक्तों राणा रतन सिंह, रूपलो कोल्ही व हेमू कालानी की मूर्तियां लगाकर सम्मान देने वाला अजमेर पहला शहर बन गया है।
महाराजा दाहरसेन स्मारक में स्वातंत्रय वीर रूपलो कोल्ही की मूर्ति महाराजा दाहरसेन समारोह समिति द्वारा लगाई जाकर अनावरण किया गया। महाराजा दाहरसेन का विदेशी आक्रांता मोहम्मद बिन कासिम से युद्ध करते हुए 1310 ईसवी पूर्व 16 जून 712 में वीरगति को प्राप्त हुये थे, और इस बलिदान दिवस पर उक्त मूर्ति का अनावरण किया गया। स्मारक पर पूर्व में परमवीर राणा रतन सिंह व हेमू कालानी की मूर्ति लगाई जा चुकी है।
पूर्व सांसद एवं नगर विकास न्यास अजमेर के पूर्व अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने बताया है कि उनके अध्यक्ष कार्यकाल में महाराजा दाहरसेन के भव्य व विशाल स्मारक का निर्माण किया गया था। इस स्मारक में सिंध का इतिहास, सभ्यता और संस्कृति को दिग्दर्शित किया गया है।
राणा रत्न सिंह और रूपलो कोल्ही ने 1857 के स्वत्रंता आंदोलन में सशस्त्र भाग लेकर देश भक्ति का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया था। परमवीर हेमू कालानी ने मात्र 19 वर्ष की आयु में अंग्रेजी सत्ता के विरूद्ध सशस्त्र क्रांति में भाग लिया उन्हें 21 जनवरी 1943 को सक्खर में केन्द्रीय जेल में फांसी की सजा दी गई।
हिन्दुस्तान में सिंध के इन तीनों स्वतंत्रता वीरों की महाराजा दाहरसेन स्मारक में मूर्ति लग जाने से यह स्थान देश भक्ति का तीर्थ स्थल बन चुका है।
महाराजा दाहरसेन समारोह समिति के समन्वयक कंवल प्रकाश किशनानी ने बताया कि पिछले 25 वर्षो से प्रति वर्ष बलिदान दिवस व जयंती के समारोह नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण, पर्यटन विभाग, भारतीय सिंधु सभा व सिंधु शोधपीठ म.द.स. विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हो रहे है।
कंवल प्रकाश किशनानी