श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ अंतर्गत पुष्कर रोड़ स्थित श्री कलापूर्ण सूरि आराधना भवन प्रांगण में जिनवाणी प्रवचन में मुनि श्री मुक्तीश्वर विजय महाराज के शिष्य श्री मुनीश्वर विजय महाराज ने फरमाया कि मोक्ष की पात्रता के तीन लक्षण हैं प्रथम लक्षण सच्ची श्रद्धा से सम्यक् बोध, आज दुनिया में ज्ञान बढ़ा है किन्तु श्रद्धा कम हो गई है, हमारे पास तर्क है मगर जिज्ञासा नहीं है, उस वजह से हम अपने स्वयं की ओर गति नहीं कर पा रहे हैं। दूसरा लक्षण बुराईका इन्कार और अच्छाई का स्वीकार है, बुराई को विदा करना अपने दोषों को विदा करना है, अच्छाई का स्वागत करना गुणों का स्वीकार करना है। मुनिश्री ने बताया अच्छाई लाने के लिये सर्वप्रथम दृष्टिकोण बदलना पड़ता है और दृष्टिकोण समझने के लिए सर्वप्रथम मन को समझना होता है।
रिखबचंद सचेती
मंत्री