विद्यासागर तपोवन में गुरु मां संगम मति माताजी ने ने प्रातः कालीन प्रवचन सभा में कहां कीजीवन केवल सांसों का जोड़ है जहां से सांसों का जोड़ टूटता है मृत्यु की परिभाषा शुरू हो जाती है और जिसने सांसों को रहते हुए सरगम को समझ लिया उसके सब गम मिट जाते हैं सांसों के टूटने या छूटने से पहले मृत्यु का एहसास होना शुरू हो जाता है जीवन रहते हुए पुण्य के काम कर लेना चाहिए पता नहीं कब काल का बुलावा आ जाए और हम कुछ ना कर पाए
पानी बरसने से नदी में जैसे बाढ़ आ जाती है वैसे ही नजर में साधु संतों के आने से धर्म की भी बाढ़ आ जाती है संत समागम से धर्म भाव और शुभ भावों में वृद्धि होती है घर में मंदिर में गुरुओं की धर्म की चर्चा होती है वातावरण सारा धर्म युक्त हो जाता है
सप्त दिवसीय रिद्धि सिद्धि आराधना में आज महावीर चंद उगम लता पाटनी परिवार ने माता जी को शास्त्र भेंट किए और माता जी के पाद प्रक्षालन कर कर पुण्य संचय किया रात्रि में 7:30 बजे से आरती एवं 8:00 बजे से लेकर 9:00 बजे तक रिद्धि सिद्धि मंत्रों का जाप किया गया
