भव्य चैत्य परिपाटी

श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ अंतर्गत पूज्य मुक्तीश्वर विजय महाराज एवं पू. मुनीश्वर विजय महाराज के सान्निध्य में लाखन कोटडी स्थित प्राचीन तीन मंदिरों के ससंघ दर्शर्नााि चैत्य परिपाटी प्रात: 6.15 बजे श्री विजय कलापूर्ण सूरि आराधना भवन से ढोल-शहनाई के साथ भगवान के जयकारों के साथ प्रारम्भ हुई। प्रथम मंदिर श्री चंद्रप्रभुस्वामी मंदिर, द्वितीय श्री गोड़ी पाश्र्वनाथ मंदिर दर्शन चैत्यवंदन करते हुए अजमेर मूल मंदिर श्री संभवनाथ भगवान मंदिर पहुंचे, जहाँ भगवान की तीन प्रदिक्षणा के साथ चैत्यवंदन, स्तुति, स्तवन के साथ प्रभु के भावपूर्ण दर्शन किये। तत्पश्चात् सचेती भवन पहुँचने पर मुनि भगवंत के आगे अक्षत से गंवली कर चावल से बधाया, अपने संक्षिप्त प्रवचन में मुनि भगवंत ने चैत्य परिपाटी का महत्त्व बतलाते हुए स्वयं में प्रभु के दर्शन करने जैसी भावना जागृत हो बतलाया, महातपस्वी श्री चमन सिंह छाजेड़ को 24 वां उपवास के पच्छखाण मुनि भगवंत ने कराये, पच्छखाण के साथ उपस्थित समुदाय ने तपस्वी की जय-जयकार के नारे लगाये। भुज से पधारे श्री रसीक भाई की सिद्धि तप तपस्या का बहुमान सचेती परिवार द्वारा किया गया। समारोह में डॉ. जयचंद बैद, सुरेशचंद खींवसरा, प्रकाश चौपड़ा, प्रकाशचंद भंडारी, सरदारचंद सचेती, उत्तमचंद सचेती, महेन्द्र सुराणा, अनिल धाड़ीवाल आदि उपस्थित थे।
रिखबचंद सचेती
मंत्री

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