एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक दुनियाभर में इसके 39 केस ही पाए गए हैं
मित्तल हॉस्पिटल की कान-नाक-गला रोग विशेषज्ञ डॉ रचना जैन ने की सर्जरी
अजमेर , 27 सितम्बर( )। अजमेर के बिहारीगंज निवासी 47 वर्षीय अंकुर वर्मा के स्वरतंत्र से जुड़े दुर्लभ रोग का अजमेर के मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में उपचार किया गया। रोगी के स्वरनली में गाँठ थी जो कि बहुत ही दुर्लभ होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में इस रोग के अब तक 39 केस ही पाए गए हैं। मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की कान-नाक-गला रोग विशेषज्ञ डॉ रचना जैन ने रोगी की दूरबीन के जरिए सर्जरी की। रोगी को स्वस्थ अवस्था में हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है।
डॉ जैन के अनुसार रोगी की करीब तीन माह से आवाज बदल गई थी। रोगी को गले में कुछ अजीब सा महसूस होता था। खॉंसी भी रहती थी। पेशे से स्पोर्टस टीचर होने के कारण उसके गले पर दवाब बना रहता था और दर्द महसूस होता था। रोगी की जांच में पाया गया कि उन्हें स्वर नली के बीच में गोल आकार की गाँठ (पायोलैरिंगोसील) है जो दोनों स्वर नली के बीच से दाहिनी ओर तक बढ़ी हुई है। इस गाँठ के और अधिक बढ़ने की स्थिति में रोगी को सांस लेने में मुश्किल हो सकती थी। जांच में यह भी संभावना लगी कि गाँठ में पानी या मवाद भरा हो सकता है।
उन्होंने बताया कि इस तरह की गाँठ रोगी के जन्मजात भी हो सकती है और बाद में भी बन सकती है। कई बार यह गाँठ बाहरी अथवा अन्दरूनी अवस्था में पाई गई है तो कभी अन्दर व बाहर दोनों अवस्था में भी होने के केस मिले हैं।
डॉ रचना जैन ने बताया कि इसका उपचार सर्जरी ही होता है यह बात अलग है कि यह सर्जरी गर्दन पर चीरा लगाकर या दूरबीन के द्वारा दोनों तरह से की जा सकती है। रोगी अंकुर के दूरबीन के जरिए सर्जरी प्लान की गई और बीना चीरा लगाए गाँठ को हटा दिया गया इसमें करीब 5 सीसी मवाद निकली। रोगी कीे सर्जरी के बाद से ही आवाज ठीक हो गई व दर्द दूर हो गया तथा खाँसी में भी राहत मिल गई।
उल्लेखनीय है कि पायोलैरिंगोसील पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में 5 अनुपात 1 की दर में होती है। उम्र के 5 वें दशक में सबसे ज्यादा होती है। सामान्यतौर पर शहनाई बजाने वालों, धूम्रपान करने वालों , काँच बनाने वालों में यह केस पाए जाते हैं।
डॉ जैन ने बताया कि इस सर्जरी में हॉस्पिटल की रेडियोलॉजिस्ट डॉ गरिमा खींची, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ राजीव पाण्डे, ओ.टी स्टाफ मरुधर, प्रियंका एवं मुकेश तकनीशियन का सराहनीय सहयोग रहा ।
निदेशक डॉ दिलीप मित्तल ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में संसाधनों की दृष्टि से अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं, जिससे कान-नाक-गला आदि से संबंधित किसी भी रोग की जाँच व उपचार तुरंत संभव हो पाता है। उन्होंने मित्तल हॉस्पिटल में कान-नाक-गला रोगों के उपचार में नए आयाम स्थापित किए जाने का श्रेय चिकित्सकों व स्टाफ की टीम भावना को दिया है।
ज्ञातव्य है कि मित्तल हॉस्पिटल केंद्र (सीजीएचएस), राज्य सरकार (आरजीएचएस) व रेलवे कर्मचारियों एवं पेंशनर्स, भूतपूर्व सैनिकों (ईसीएचएस), ईएसआईसी द्वारा बीमित कर्मचारियों तथा मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना एवं सभी टीपीए द्वारा उपचार के लिए अधिकृत है।