पटेल आदर्श विद्या निकेतन माध्यमिक विद्यालय में सर जगदीश चंद्र बसु की जयंती मनाई गई

केकड़ी 30 नवंबर(पवन राठी ) प्रधानाध्यापक रामेश्वर चौहान ने बताया, कि कार्यक्रम का शुभारंभ सर जगदीश चंद्र बसु के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन करके किया गया ।
इस अवसर पर विद्यालय के आचार्य भोलूराम कुमावत ने अपने उद्बोधन में बताया , कि जगदीश चंद्र बसु के पिता उनको देशभक्त बनाना चाहते थे। जगदीश चंद्र बसु लंदन से रसायन शास्त्र व वनस्पति शास्त्र में उच्च शिक्षा ग्रहण करके भारत आए और उन्होंने 1885 से 1915 तक प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता में भौतिक विज्ञान का अध्यापन करवाया। इस कॉलेज में भारतीय प्राध्यापकों को अंग्रेज प्राध्यापकों से एक तिहाई वेतन कम दिया जाता था। जिसका जगदीश चंद्र बसु ने विरोध किया, और उन्होंने 3 वर्षों तक बिना वेतन के कार्य किया, इस दौरान वे वैज्ञानिक अनुसंधान करते रहे, 1902 में विज्ञान कांग्रेस अधिवेशन पेरिस में उन्होंने भारतीय प्रतिनिधि के रूप में भाग लेकर क्रेस्कोग्राफ यंत्र के द्वारा पौधों की वृद्धि के बारे में बताया। उन्होंने यह सिद्ध किया कि पेड़- पौधों में भी जीवन होता है। रेडियो के आविष्कारक मारकोनी के 2 वर्ष पहले ही उन्होंने बेतार तार प्रणाली की खोज कर ली थी। उन्होंने अपने जीवन में 10 से अधिक पुस्तकें तथा 80 से अधिक शोध पत्र लिखें। उनकी उपनिषद पर आधारित पुस्तक रिस्पांसेस इन द लिविंग एंड नाॅन लिविंग का संपादन भगिनी निवेदिता ने किया था।
कार्यक्रम में भैया नितेश सैनी , जितेश लोधा, दैविक लखोटिया, रवि वर्मा, अंजनी पारीक, राघव, गगन झरोटिया, अमन वर्मा, सात्विक पारीक, कन्हैयालाल पांचाल, यश यादव, द्रोण मीणा, धीरज वर्मा, कृष्णा माली ने भी जगदीश चंद्र बसु की जीवनी पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष लादूराम रेगर ने आभार व्यक्त करते हुए बताया, कि हमें हमारे जीवन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन भैया जितेश लोधा ने किया।

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