मोह का त्याग कर स्वयं पुरुषार्थ करें यशस्विनी माताजी

श्री दिगंबर जैन मुनि संघ सेवा जागृति मंच के तत्वाधान में चल रहे प्रवचन कार्यक्रम के तहत यशस्विनी माताजी ने कहा कि मोह का त्याग करना आवश्यक है अगर मोह जीवन में है तो हम साधु के पास जाकर भी साधुता को प्राप्त नहीं कर सकते शरीर को खिलाना पिलाना शरीर को चलायमान कर सकता है लेकिन यह साथ नहीं जाएगा साथ तो केवल हर जन्म में आत्मा ही रहेगी और आत्मा का लक्ष्य हमेशा मोक्ष प्राप्ति का ही रहना चाहिए
माताजी ने कहा कि स्वयं को पहचाने स्वयं को जाने आत्मा का परीक्षण करें पद और प्रतिष्ठा यही रह जाएंगे स्वयं में जो अनंत ज्ञान है उसे जागृत करें सही और गलत क्या है उसका निर्णय लेने की ताकत पैदा करें आत्मा अजर है अमर है अविनाशी है शरीर तो जीवन का माध्यम है
कट्टरता से केवल दूरियां बढ़ती है सरलता नहीं होती वृक्ष सभी को छाया देता है नदी अपना जल सभी को देती है चंद्रमा और सूरज सभी को रोशनी देते हैं जहां राग द्वेष है वह धर्म कभी नहीं हो सकता जहां प्रेम है वात्सल्य है करुणा है वहीं पर धर्म स्थापित हो सकता है
आज की धर्म सभा में सुनील जैन होकरा दीपक पाटनी नीलम पाटनी इंदु जैन आदि उपस्थित थे

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