गांठ ने आधे लीवर को कर लिया था कवर
अजमेर, 20 जनवरी()। अजमेर के कोटड़ा क्षेत्र निवासी 54 वर्षीय महिला के लीवर में बनी हिमेन्जियोमा की गांठ मित्तल हॉस्पिटल में सर्जरी कर निकाल दी गई। मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के गैस्ट्रो — लेप्रोस्कोपिक एंड बेरियाट्रिक सर्जन डॉ एस पी जिंदल के द्वारा यह सर्जरी की गई। सर्जरी में अधिक रक्तस्त्राव का जोखिम था, किन्तु कम से कम ब्लड लोस (रक्तहानि) में सर्जरी की गई। मरीज को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है।
गैस्ट्रो — लेप्रोस्कोपिक एंड बेरियाट्रिक सर्जन डॉ एस पी जिंदल ने बताया कि महिला के पेट में लीवर के अंदर एक बड़ी गांठ थी जिसे चिकित्सकीय भाषा में हिमेन्जियोमा कहा जाता है। यह करीब 15 गुणा 15 सेंटीमीटर के आकार की थी जिसने आधे लीवर को ढक लिया था। गांठ को बढ़ने के लिए लीवर से ही खून मिल रहा था। एक तरह से लीवर के ऊपरी सतह पर रक्त से भरी गांठ ही बन गई थी। गांठ का आकार बड़ा होने के कारण वह खून की बड़ी नस पर दबाव बना रही थी। गांठ के निकाले जाने में खून व्यर्थ बहने का भी खतरा था और लीवर को सुरक्षित रखने का भी।
रोगी महिला ने बताया कि उन्हें पेट में दर्द होता था और शरीर में सूजन रहने लगी थी। जांच कराने पर उनके लीवर के अंदर गांठ होना बताया। पहले तो उन्हें दवा दी गई। एक माह तक दवा चली; ज्यादा राहत नहीं मिली। डाक्टर ने सर्जरी कराने को कहा।
डॉ जिन्दल ने बताया कि जब रोगी उनके पास आया था तो उन्हें जांच के बाद सर्जरी कराए जाने की ही सलाह दी गई थी। परिवारजनों को महिला की सर्जरी के जोखिम के बारे में भी बता दिया गया था। परिवारजनों को सभी स्थिति से अवगत कराने के बाद सर्जरी प्लान की गई। अच्छी बात रही कि पूरी सर्जरी के दौरान अतिरिक्त खून चढ़ाने जरूरत नहीं पड़ी।
डॉ जिंदल ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में इस तरह की सर्जरी होने से रोगियों को बहुत राहत है। उन्होंने बताया कि लीवर और पेनक्रियाज से संबंधित सर्जरी पूर्व में अजमेर से बाहर बड़े चिकित्सा संस्थानों में ही होती थी। लेकिन अब मित्तल हॉस्पिटल में ही ऐसी सर्जरी सामान्य रूप से होने लगी हैं। मित्तल हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे सभी तरह की सुपरस्पेशियलिटी चिकित्सा सुविधाओं के साथ अनुभवी चिकित्सकों की पूरी टीम उपलब्ध होने व दूरबीन से सर्जरी की आधुनिक चिकित्सा तकनीक का इस्तेमाल किए जाने से रोगियों को बहुत लाभ मिल पा रहा है।
