भगवान आदिनाथ का जन्म एवम तप कल्याणक मनाया

अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमो के साथ निकाली गई शोभायात्रा
केकड़ी 16 मार्च(पवन राठी )
दिगम्बर जैन समाज केकड़ी द्वारा गुरुवार को जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ का जन्म एवं तप कल्याणक महामहोत्सव दिवस बड़े ही हर्षोल्लास, भक्ति भाव से ओतप्रोत विविध धार्मिक कार्यक्रमों संग मनाया।
इस मौके पर कस्बे के सभी आठों दिगम्बर जैन मंदिरों में सुबह से ही भीड़ देखी गई। प्रत्येक जैन मंदिरों में सुबह मंत्रोच्चार के साथ जिनेन्द्र भगवान का महा मस्तकाभिषेक और शांतिधारा के पश्चात अष्ट द्रव्यों से विशेष पूजा अर्चना की गई। धंटाधर के समीप स्थित आदिनाथ मंदिर में भी विशेष पूजा अर्चना आदिनाथ मंडल विधान रचाकर की गई। पूर्व संध्या पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किये गए।
इसी के तहत बौहरा काॅलोनी स्थित श्री ऋषभदेव जिनालय में मंदिर प्रबंध कमेटी के संयोजन में आयोजित इस महोत्सव के अन्तर्गत बुधवार को पूर्व संध्या पर सायंकाल शुभकामना परिवार एवं स्वस्ति बालिका मण्डल के संयुक्त तत्वावधान में भगवान ऋषभदेव की महाआरती, पालना झुलाना सहित विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत एक से बढ़कर एक कई बेहद मनमोहक अतिसुंदर भक्ति नृत्य नाटिकाएं और शिक्षाप्रद हास्य व्यंग्य नाटिकाएं प्रस्तुत की।श्रद्धालु भी बिना पलक झपकाये टकटकी लगाए कार्यक्रम को देखते ही रह गये।

गुरूवार को प्रातः सवा पांच बजे प्रभात फेरी निकाल कर भगवान आदिनाथ के जन्म एवं तप कल्याणक महोत्सव का शुभारंभ हुआ।
साढ़े छह बजे श्रद्धालुओं ने जिनेन्द्र प्रभु के अभिषेक की प्रकिया में मंगलाष्टक पाठ, अभिषेक पाठ सहित विशेष मंत्रोच्चारण के बीच प्रासुक जल से भरे स्वर्ण और रजत कलशों से आदिनाथ भगवान का मस्तकाभिषेक किया। तत्पश्चात जन जन का कल्याण होवे और जग में सुख शांति समृद्धि और मंगल होवे ऐसी भावना लिए शांतिधारा की गई। जन जन की आस्था और श्रद्धा के धारी भगवान ऋषभदेव की शांतिधारा देखते हुए श्रद्धालु हाथ जोड़कर श्रद्धा सुमन समर्पित कर रहे थे और अपना अपना जीवन धन्य कर रहे थे।

बोली द्वारा चयनित मूलनायक भगवान आदिनाथ का प्रथम अभिषेक और शांतिधारा करने का महासौभाग्य महावीर प्रसाद पदम कुमार अक्षत सम्यक कासलीवाल परिवार को मिला।साथ ही प्रथम अभिषेक करने का लाभ प्रतीक छाबड़ा परिवार को मिला। मूलनायक आदिनाथ भगवान की दूसरी ओर से शांतिधारा करने का सौभाग्य पदम कुमार विनय कुमार कटारिया परिवार को मिला। पाण्डुक शिला पर विराजमान कर जिनेन्द्र प्रभु की शांतिधारा करने का सौभाग्य ज्ञानचंद अशोक कुमार हिमांशु शुभम सिंधल ,विमल कुमार राजेंद्र कुमार रमेश चंद जैन, प्रभात चंद सुबोध कुमार अशोक कुमार राकेश कुमार कासलीवाल, प्रेमचंद महेन्द्र कुमार कमल कुमार शुभम बड़जात्या परिवारों को मिला। भगवान आदिनाथ की महाआरती करने का सौभाग्य कपूर चंद योगेश कुमार राकेश कुमार जैन परिवार को मिला।

शांतिधारा पश्चात छत्र चढाने और चंवर ढूराने के मंत्र बाद अर्धावली के विशिष्ट अर्घ्य भगवान को समर्पित किए।
साढ़े आठ बजे भगवान को रथ में विराजमान कर नगर में भ्रमण हेतु बैंड बाजे के साथ भगवान आदिनाथ के जन्म कल्याणक महामहोत्सव की भव्य शोभायात्रा निकाली गई।
शोभायात्रा में जिनेन्द्र प्रभु के रथ को चलाने में सारथी बनने का सौभाग्य प्रभात चंद सुबोध कुमार अशोक कुमार राकेश कुमार कासलीवाल परिवार को मिला।
शोभायात्रा बोहरा काॅलोनी स्थित ऋषभदेव मंदिर से रवाना होकर जूनिया गेट , आदिनाथ मंदिर, धंटाधर, चंद्रप्रभु चैत्यालय, पार्श्वनाथ मंदिर, सब्जी मंडी, गणेश प्याऊ,सदर बाजार, अजमेरी गेट,तीन बत्ती, जयपुर रोड होते हुए वापिसी ऋषभदेव जिनालय पहुंच कर विसर्जित हुई। जहां पहुंच नगर परिभ्रमण कर वापिस पधारे श्री ऋषभदेव भगवान का अभिषेक किया गया।और प्रतिमा जी को पुनः वेदी पर विराजमान किया गया।
जुलूस का जगह जगह श्रद्धालुओं द्वारा स्वागत किया गया। बड़ी संख्या में शोभायात्रा में शामिल पुरुष वर्ग श्वेत वस्त्रो में एवं महिलाएं केसरिया परिधानों में दिखी। बहुत सी महिलाएं एवं पुरुष हाथो में जैन धर्म के प्रतीक पचरंगी ध्वज लेकर चल रहे थे।
अति उत्साहित महिला पुरूष प्रभु भक्ति में नाचने गाते और भगवान आदिनाथ के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे।

दोपहर में 1008 श्री आदिनाथ महामंडल विधान का आयोजन पंडित अंकित जैन शास्त्री के विधानाचार्यत्व में किया गया। जिसमें सैकड़ों महिला पुरूषों ने प्रभु भक्ति करते हुए जल,चंदन,अक्षत, पुष्प, नैवेद्य,दीप,धूप,फल अष्ट द्रव्यों से विशेष पूजा अर्चना करते हुए मंडल पर श्रीफल अर्घ्य अर्पण किये।

मंडल विधान पूजन से पहले भगवान का प्रासुक जल शांतिधारा की गई जिसका सौभाग्य छीतरमल दीपक कुमार सुनील कुमार बाकलीवाल परिवार को मिला। अभिषेक करने का लाभ महावीर कासलीवाल, हेमराज टोंग्या,निर्मल पाटनी, धर्मीचंद जैन और राकेश बज परिवार को मिला।

मंडल पर मांगलिक क्रियाओं एवं मुख्य मंगल कलश स्थापना करने के लिए सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य निर्मल कुमार जैन बधेरा वालो को मिला।
अन्य चारों कोनों में मंगल कलशों की स्थापना का लाभ क्रमशः ऊषा कटारिया,निर्मला गदिया,रूपादेवी डेवडियां और स्नेहलता बज को मिला। दीपक स्थापना आरती का लाभ छीतरमल बाकलीवाल ने प्राप्त किया।
आदिनाथ मंडल विधान के दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान के गुणों का विशेष स्तवन करते हुए मंडल विधान पर एक सौ चौबीस श्रीफल अर्घ्य समर्पित किए।
संगीतमय मंडल विधान में श्रद्धालुओं ने संगीत की स्वर लहरियों के साथ आत्मविभोर हो बड़े ही धूमधाम उत्साह से मंडल विधान की पूजन की। इस दौरान भक्ति नृत्य भी किये!
सायंकालीन दिगम्बर जैन महिला महासमिति के तत्वावधान में भगवान आदिनाथ की महाआरती एवं रिद्धि सिद्धि दायक मंत्रों से युक्त असीम कालीन भक्तामर स्तोत्र के प्रत्येक अडतालीस श्लोकों पर रजत दीप प्रज्ज्वलित कर संगीतमय विशेष भक्ति पूर्वक भगवान ऋषभदेव की आराधना की।
ऋषभदेव जिनालय को जन्म एवं तप कल्याणक महोत्सव को लेकर आकर्षक रोशनी से सजाया गया और समृद्धि की प्रतीक रंगोली बनाई गई।

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