अच्छे संस्कार आदमी को इंसान बनाते हैं – बोराणा
जयपुर, 10 अप्रेल (वि.) भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सिन्धी भाषा को 10 अप्रेल 1967 को मान्यता मिलने के उपलक्ष्य में राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा ’’सिन्धी भाषा ऐं संस्कृतीअ जो लागापो’’ विषयक राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन 10 अप्रेल, 2023 को अकादमी संकुल सभागार, जे-15, झालाना संस्थानिक क्षेत्र, जयपुर में किया गया।
अकादमी सचिव योगेन्द्र गुरनानी ने बताया कि कार्यक्रम शुभारंभ भगवान झूलेलाल जी की प्रतिमा के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान राज्य मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं राज्यमंत्री रमेश बोराणा ने अपने उद्बोधन में कहा कि 10 अप्रेल, 1967 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी जी द्वारा भारत के संविधान में सिन्धी भाषा को मान्यता प्रदान करवाई गई। उन्होंने कहा कि भाषाओं और साहित्य को लेकर हमें संवेदनशील होना होगा। सिन्धी संस्कृति भारत की जड़ों की भाषा है। हमें सिन्धी भाषा एवं संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिये इसकी जड़ो को मजबूत करना होगा। यदि हम अपनी जड़ों की भाषा को जीवित नहीं रखेगे तो हम संस्कारों से दूर हो जायेंगे। संस्कार आदमी को एक जिन्दा एवं संस्कारी इंसान बनाते हैं। अपनी भाषा एवं संस्कृति से ही हम अपनी नई पीढ़ी को संस्कार दे सकते हैं और अन्त में सिन्धी भाषा दिवस पर सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अकादमी के पूर्व अध्यक्ष नरेश कुमार चंदनानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हम जिस अकादमी संकुल सभागार में यह कार्यक्रम कर रहे हैं, वह माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत साहब की दूरदर्शी सोच की देन है। उन्होंने ही जयपुर की अकादमियों को एक भवन में लाने की पहल की। वे प्रदेश की भाषाओं, संस्कृति, कला तथा कलाकारों का बहुत सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि सिन्धी भाषा, साहित्य, कला एवं संस्कृति का समृद्ध इतिहास रहा है। यह साहित्यकारों का दायित्व है कि सिन्धी भाषा एवं साहित्य के संरक्षण एवं संवर्द्धन के साथ ऐसे साहित्य का सृजन करें ताकि भाषा-संस्कृति से युवा पीढ़ी में अच्छे संस्कारों का संचार हो।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये अजमेर की वरिष्ठ साहित्यकारा डॉ.कमला गोकलानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सिन्धी जहां भी जाते हैं वे अपनी भाषा के साथ-साथ दूसरी भाषायें बहुत जल्दी सीख जाते हैं इसलिये सिन्धी व्यापारी अधिक सफल हैं, क्योंकि सिन्धी भाषा जानने-सीखने वाले को अन्य भाषायें सीखने में बहुत आसानी होती है। हमें 10 अप्रेल- सिन्धी भाषा दिवस के महत्व को घर-घर तक पहुंचाना होगा।
कार्यक्रम के विषय वक्ता के रूप में जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार हरीश करमचंदानी, ब्यावर के वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.अर्जुन कृपलानी एवं जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार गोबिन्दराम माया ने सिन्धी भाषा एवं संस्कृति विषयक विशिष्ट व्याख्यान प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम में राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष श्रीमती बिनाका जैश मालू, मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी फारूख आफरीदी, राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डा.सरोज कोचर, राजस्थान उर्दू अकादमी के अध्यक्ष डा.हुसैन रजा, बाल साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री इकराम राजस्थानी, सचिव राजेन्द्र मोहन शर्मा, राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के सचिव गोपाल गुप्ता, सिन्धी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष मोहन लाल वाधवानी एवं चन्दीराम राघानी, अकादमी के पूर्व सचिव दीपचन्द तनवानी एवं ईश्वर मोरवानी के साथ सिन्धी समाज के गणमान्य नागरिक, साहित्यकार, अकादमी के पूर्व सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
कार्यक्रम में जयपुर की युवा गायक कलाकार रूचिका टी.चन्दानी ने कई सिन्धी गीत, कलाम, भजन आदि प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती पूजा चांदवानी ने किया। अकादमी सचिव ने सभी आगन्तुकों का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ सम्पन्न हुआ।
(योेगेन्द्र गुरनानी)
सचिव