प्रेम प्रकाश आश्रम पुष्कर में संचालित हो रहा है विवेकानन्द केन्द्र का योग सत्र

व्यक्ति को समाज से जोड़कर सुदृढ़ राष्ट्र बनाना ही योग – डाॅ. स्वतन्त्र शर्मा
26 मई को समापन के बाद प्रतिदिन संचालित होगी योग कक्षा

वर्ष 1972 में अपनी स्थापना के उपरांत विवेकानन्द केन्द्र के संस्थापक एकनाथजी रानडे ने योग के द्वारा मनुष्य निर्माण और उसके साथ ही परिवार व समाज को साथ जोड़कर सबल राष्ट्र बनाने को ही योग की परिभाषा कहा है। महामुनि पतंजलि इस अष्टांग योग की अवधारणा में समाज धारणा के लिए यम नियम को जाति, देश व काल से परे सार्वभौमिक महाव्रत बताते हैं जिनमें अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह की पालना के साथ साथ शौच संतोष तप स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान की आवश्यकता पर जोर देते हैं। स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अविद्या के कारण प्रकृति से आत्मा का संबंध जुड़ गया है। इसे मुक्त करने के लिए राजयोग, कर्मयोग, भक्तियोग अथवा ज्ञान योग में से किसी भी एक का चयन करके मुक्त हो जाना ही योग है। उक्त विचार विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के प्रांत कार्यपद्धति प्रमुख डाॅ. स्वतन्त्र शर्मा ने पुष्कर के प्रेम प्रकाश आश्रम में संचालित किए जा रहे अष्ट दिवसीय योग सत्र के पांचवे दिन योगाभ्यास पर चर्चा के दौरान व्यक्त किए।
पुष्कर कार्यस्थान संयोजक रामनिवास वशिष्ठ ने बताया कि योग सत्र में सूक्ष्म व्यायाम, शिथिलीकरण अभ्यास, श्वसन अभ्यास, सूर्यनमस्कार, आसन एवं प्राणायाम के साथ साथ आवर्तन ध्यान की पद्धति सिखाई जा रही है। योग सत्र के संचालन में युवा प्रमुख अंकुर प्रजापति एवं मनीषा रूपचंदानी अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं। सत्र समन्वयक मधु शर्मा ने बताया कि योग सत्र का समापन 26 मई को होगा तथा इसके उपरांत प्रेम प्रकाश आश्रम में प्रतिदिन प्रातः 6 से 7 बजे तक नियमित योग कक्षा का संचालन विवेकानन्द केन्द्र की ओर से किया जाएगा।

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