एलिवेटेड रोड अजमेर का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है, जिसे अधिकारियों ने ठेकेदार से साठगांठ कर पूरी तरह पलीता लगा दिया

अजमेर, 6 जून। पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने केंद्र सरकार से स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट के तहत अजमेर में घटिया सामग्री से बने एलिवेटेड रोड की राजस्थान से बाहर के विशेषज्ञों से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि एलिवेटेड रोड के निर्माण में गुणवत्ता का कोई ध्यान नहीं रखा गया है, जिससे कभी गर्डर से पत्थर नीचे गिर जाते हैं। बरसात में एलिवेटेड रोड के बीच में से पानी का झरना बहता है। अभी से जगह-जगह दरारें दिखाई देने लगी हैं।
देवनानी ने केंद्रीय आवासन व शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी को लिखे पत्र में एलिवेटेड रोड के निर्माण में पूरी सामग्री घटिया इस्तेमाल किए जाने, अधिकारियों और ठेकेदार की साठगांठ से गुणवत्ता का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखे और वित्तीय अनियमितता कर करोड़ों रूपए के वारे-न्यारे किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि 5 जून को ही रेलवे स्टेशन के बाहर एलिवेटेड रोड के गर्डर से पत्थर निकल कर नीचे पार्किंग में खड़ी कार पर गिर गया। पिछले एक सप्ताह में यह तीसरी घटना घटी है। कुछ दिन पहले जब शहर में बरसात हुई थी, तो एलिवेटेड रोड के जगह-जगह पानी के झरने बहते दिखाई दिए। एलिवेटेड रोड से आए दिन कुछ-ना-कुछ गिरना आम बात हो गई है। इस एलिवेटेड रोड की एक भुजा का कुछ माह पहले प्रदेश के स्वायत्त शासन मंत्री से वर्चुअल और पिछले दिनों मुख्यमंत्री से दूसरी भुजा का लोकार्पण कराया गया है।
देवनानी ने पत्र में कहा है कि पहले भी एलिवेटेड रोड के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किए जाने की शिकायतें जिला प्रशासन को मिली थीं, लेकिन कलेक्टर ने उन्हीं अधिकारियों की जांच कमेटी बना दी, जो निर्माण कार्य से जुड़े हुए थे। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी खुद निर्माण कार्य से जुड़े हों, उनसे निष्पक्ष जांच किए जाने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं की जा सकती है, इसलिए इस पूरे मामले की केंद्र सरकार द्वारा विशेषज्ञों की कमेटी गठित कर जांच कराई जाए। इसमें जांच कमेटी में राजस्थान के एक भी विशेषज्ञ को शामिल नहीं किया जाए।
देवनानी ने कहा है कि एलिवेटेड रोड अजमेर का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है, जिसे यहां के अधिकारियों ने ठेकेदार से साठगांठ कर पूरी तरह पलीता लगा दिया है। मूल रूप से यह प्रोजेक्ट 220 करोड़ रूपए का था, लेकिन ठेकेदार मनमानी करता रहा और अधिकारी उसके आगे नतमस्तक होते रहे। ठेकेदार तय समय सीमा में एलिवेटेड रोड का काम पूरा नहीं कर सका, जिससे अधिकारियों ने समय सीमा बढ़ाने के साथ निर्माण की लागत में 52 करोड़ रूपए का और इजाफा कर दिया था। इससे जाहिर होता है कि एलिवेटेड रोड के निर्माण में ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत के कारण ही घटिया सामग्री का उपयोग किया गया। इसलिए एलिवेटेड रोड से आए दिन कोई-ना-कोई दुर्घटना होने का अंदेशा बना रहता है। उन्होंने कहा है कि समय सीमा और राशि बढ़ाने में भी अधिकारियों ने शर्तों व नियमों का जमकर उल्लंघन किया और ठेकेदार को मनमानी करने में पूरा साथ दिया। यदि अधिकारियों की ठेकेदार से साठगांठ नहीं होती, तो एलिवेटेड रोड के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल नहीं होता और ऐसी घटनाएं नहीं होतीं।
देवनानी ने कहा है कि एलिवेटेड रोड के नीचे की सड़कें आज तक नहीं बनाई गई हैं। सड़कों पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे पड़े हुए हैं, जिससे राहगीरों और वाहन चालकों को आवाजाही में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। ऐसी जानकारी मिली है कि इन सड़कों को बनाने के लिए संबंधित ठेकेदार को राशि का अग्रिम भुगतान भी किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि सड़क बनाने का काम अभी तो शुरू भी नहीं हुआ और भुगतान कर देना ना केवल आश्चर्य का विषय है, बल्कि मिलीभगत का खुला खेल भी उजागर करता है।

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