जैन इतिहास की गौरव गाथा – बलिदान होकर भी धर्म का मार्ग नही छोड़ा

सिख और जैन परिवारों ने अपने प्राण त्याग दिये पर धर्मपरिवर्तन नही किया

ब्यावर। बिरद भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में महासती धैर्यप्रभा ने धर्मसभा को धर्म पर मर मिटने वालों का इतिहास के पन्नों की एक की गौरव गाथा जो कि पंजाब की धरती पर रचा गया। महासती ने धर्मसभा को बताया कि औरंगजेब के समय मुगलों द्वारा व्यापक स्तर पर धर्म परिवर्तन किया जाता था। जो धर्म परिवर्तन के लिए तैयार नही होते उन पर व्यापक अत्याचार किये जाते थे। सिख गुरु गोविंदसिंह जी के बच्चे हो या जैन समाज के छोटे छोटे बच्चे उन्होंने अपने प्राण त्यागना मंजूर किया परन्तु कभी भी अपना सिर झुकने नही दिया। महासती जी द्वारा गत शुक्रवार से यह मार्मिक कथानक बताया जा रहा है जो कि रविवार तक चलेगा।

महासती द्वारा गुरु गोविंद सिंह और उनके बच्चों के बलिदान गाथा वाचन की जानकारी जब सिख सम्प्रदाय के श्रावकों को लगी तो बढ़ी संख्या में वो भी महासती का व्याख्यान सुनने के लिए बिरद भवन धर्मसभा में उपस्थित हुए और उन्होंने भी अपनी कौम के साहबजादों के बलिदान की दास्तां सुनकर अपने आप को निहाल किया। पूरी धर्मसभा इतिहास की इस गौरवगाथा को सुनकर मंत्रमुग्ध होकर वाह वाह कर उठी। उन्होंने इस मार्मिक प्रवचन के माध्यम से गुरु महिमा एवं बलिदान गाथा को सुनकर अपने आप को भी धन्य माना।
इस अवसर पर सिख समुदाय के प्रधान साहिब सिंह जी, मुख्य पुजारी हरदेवसिंहजी ,सेवादार संतोख सिंह जी,सेवादार नरेंद्र सिंह जी, जसपाल जी हुड्डा, लक्ष्मण सिंह जी हुड्डा, राम भाई पंजाबी, गुरुबक्स सिंह जी मुच्छल, जसपाल सिंह जी छाबड़ा जगजीत सिंह जी हुड्डा जोगेंद्र सिंह जी छाबड़ा व जैन समाज के सैकड़ों गणमान्य नागरिक व महिलाए उपस्थित थी।

देवराज लोढ़ा – अध्यक्ष 9829585000
हेमन्त बाबेल – मन्त्री 9829125976
रुपेश कोठारी – मीडिया प्रभारी 9829307947
श्री जैन दिवाकर संघ, ब्यावर

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