स्मार्ट सिटी के अधिकारियो ने जनता के विश्वास के साथ किया खिलवाड़ = देवनानी
देवनानी ने कहा की शहर में स्मार्ट सिटी के सबसे बड़े प्रोजेक्ट एलिवेटेड रोड के निर्माण में भी अधिकारियो ने जमकर बंदरबाट की है। एलिवेटेड रोड के निर्माण की लागत को भी बढ़ा दिया गया और सिक्योरिटी फीचर्स की किसी सक्षम एजेंसी से परीक्षण कराए बिना ही काम शुरू कर दिया। देवनानी ने कहा की अधिकारियो ने जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना ही सब काम किए जिसका खामियाजा अब जनता को भुगतना पड़ रहा हैं। अधिकारियो ने उन कामों के बिल भी पास कर दिए जिनका काम अभी शुरू भी नहीं हुआ। सोनीजी की नसियां के पास सड़क का काम शुरू नहीं हुआ और ठेकदार को एडवांस भुगतान कर दिया गया। और यही कारण रहा की काम को कभी गति मिल ही नहीं सकी। कलेक्टर की और से गठित जांच कमेटी ने भी इसको प्रमाणित किया है और अब जिम्मेदार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
देवनानी ने कहा की स्मार्ट सिटी एलिवेटेड रोड EPC (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) के प्रणाली पर एलिवेटेड रोड निर्माण की निविदा आमंत्रित की व एकल निविदा प्राप्त हुई इस निविदा को खारिज कर पुनः निविदा आमंत्रित करने के स्थान पर नियम विरुद्ध एकल निविदा पर ही सिम्फोनिअ ग्राफ़िक्स को 220 करोड़ का आदेश जारी कर दिया। निविदा शर्तो के अनुसार नेशनल रोड कांग्रेस के तये मनको के अनुसार निर्माण होना था यहाँ कार्य 24 माह में सम्पूर्ण होकर शहर की जनता को समर्पित करना था। लेकिन कार्य तय समय में न पूर्ण होने पर पेनल्टी सहित राशि वसूलने का प्रावधान निविदा की शर्तो में था ।इस कार्य को 9 मई 2018 को शुरू होकर मई 2020 को खत्म होना था। 23 मार्च 2020 को कोरोना के चलते लॉक डाउन लगा दिया गया। 23 मार्च 2020 तक कार्य आदेश के अनुसार एलिवेटेड रोड का 94% कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए था व बाकि कार्य लॉक डाउन खत्म होने के 470 दिवस में होना था लेकिन लॉक डाउन के दौरान कार्य चालू दर्शाया गया जिसका प्रमाण लॉक डाउन समय उठाये गए बिलो से प्रमाणित होता है। लेकिन भ्रष्ट राजस्थान सरकार के नेताओ के इशारे पर प्रोजेक्ट डायरेक्टर द्वारा 480 +180 +180 कुल 840 दिवस का अविधिविस्तार दिया जोकि 24 फरवरी 2023 को खत्म हो गया। सिंफोनिया ग्राफ़िक से करीब 24 करोड़ की LD पेनल्टी राशि वसूल की जानी थी उसके स्थान पर लगभग तीन वर्ष देरी से खत्म हुए प्रोजेक्ट पर 270 करोड़ का प्राइस इसकलशं भुगतान कर इस प्रोजेक्ट को लगभग 300 करोड़ के पर पहुंचा दिया इस कार्य में रेलवे स्टेशन से दो अंडरपास भी सिम्फोनिअ ग्राफ़िक्स को बनाने थे लेकिन नहीं बनाये गए व बिना कार्य किये भी इसका भुगतान उठा दिया गया। इस निर्माण में पुरातत्व विभाग के नियम, रोड कांग्रेस के मानक, ट्रैफिक प्लानिंग को ताक में रखा गया।
देवनानी ने कहा की स्मार्ट सिटी के तहत केंद्र की और से समय समय पर राशि जारी की गई लेकिन अधिकारियो ने उसका सदुपयोग करने की बजाय ठेकेदारों को उपकृत करने में इसका इस्तेमाल किया जिसके कारण एलिवेटेड रोड की लागत भी 220 करोड़ से बढ़कर 270 करोड़ को पार कर गई। इसके अलावा भी शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स के तहत कई ऐसे काम हुए जिनके अधिकारियो ने वित्तीय गड़बड़ियां की है। एस्केप चैनल निर्माण मैं 19.78 करोड़ के टेंडर जमकर भ्रष्टाचार हुआ । साइंस पार्क का निर्माण 15.20 करोड़ की लागत से बनना था उसमे एक करोड़ की राशि तो पहाड़ी को समतल करने में खर्च कर दी और इस प्रोजेक्ट का भी पलीता लगाने काम स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने किया । आनासागर झील के कैचमेंट एरिया को मिलीभगत से कम करके मिट्टी भराई कर करोड़ों की हेर फेर हुई । झील पर पाथ वे निर्माण और सेवन वंडर के निर्माण मैं करोड़ों की राशि का लेनदेन हुआ और मिलीभगत से इसकी आड़ कब्जे नहीं हटाए गए जिसका परिणाम पूरा शहर आज भुगत रहा है । इसके कारण शहर में जलभराव हुआ पूरे शहर को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा । अजमेर शहर में हर विभाग में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है । कांग्रेस नेताओ को शह पर जमकर भ्रष्टाचार और घोटाले हो रहे हैं ।इन सबको लेकर भाजपा जल्द पर्दाफाश करेगी और स्मार्ट सिटी के कामों में हुई वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर ब्लैक पेपर जारी किया जाएगा ।