और जिसकी दृष्टि निर्मल नहीं, उसका चित्त शांत नहीं होता। दृष्टि जैसी होती है उसे सृष्टि भी वैसी दिखनी शुरू हो जाता है। दृष्टि ही हमारी विचार व सोंच को प्रभावित करती है। यह बात मुनि श्री संकल्प सागर जी महाराज ने प्रवचन देते हुए विद्यासागर तपोवन में कहीं
मुनि श्री ने कहा कि गुणग्राही दृष्टि ही अच्छे गुण को देख सकती है। मुनिश्री ने कहा कि पहाड़ को उठाना सरल है, परन्तु स्वयं की गलती को स्वीकारना अपनी भूल को सुधारना अत्यंत कठिन है। संकटों में धैर्य धारण करना, विषमता में समता, शत्रु पर क्षमा दुर्लभ है।
जीवन श्रेष्ठ तभी हो सकता है जब हम विचारों की पवित्रता के साथ आचरण की भी पवित्रता रखेंगे। चर्चा के साथ सम्यक् चर्चा करेंगे। जीवन में विवेकपूर्ण प्रबल पुरुषार्थ आवश्यक है। पुरुषार्थ कभी व्यर्थ नहीं जाता है, वर्तमान पुरुषार्थ ही भविष्य का भाग्य बनता है।
णमोकार महामंत्र अनुष्ठान संध्या काल 6:30 बजे प्रारंभ हुआ जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने णमोकार महामंत्र के जाप किए कार्यक्रम के अंत में ज्ञान वृद्धि हेतु 5 प्रश्नों की प्रश्न माला संपन्न हुई जिसमें पुरस्कार भी वितरित किए गए मुनि श्री संकल्प सागर जी महाराज सद्भाव सागर जी महाराज के नित्य प्रवचन प्रातः काल 8:15 विद्यासागर तपोवन में हो रहे हैं