*गुरु ले जाते है हमें सदगति की और – साध्वी धैर्यप्रभा*
ब्यावर। बिरद भवन में चल रहै पर्युषण पर्व प्रवचन के चतुर्थ दिवस महासती धैर्यप्रभा ने बताया कि जीवन में भगवान के बताए हुए मार्ग पर गुरु के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए चले तो जीवन का स्वतः ही उद्धार हो जाएगा। हमने भी गुरु की बात मानकर संयम जीवन को अंगीकार किया और आज हम इन संसार के दुःखों से दूर सुखी जीवन व्यतीत करते हैं। आप भी सद्गुरु पर विश्वास करें। आपका माता पिता, गुरु, परमात्मा और आप स्वयं कभी बुरा नही सोचते हैं। सबको नशों से दूर रहना चाहिए। जैन इतिहास में वर्णन है कि नशे के कारण ही द्वारिका समाप्त हुई। द्वारिका विनाश से बचाने का कारण जो बताया गया वह था अनवरत आयम्बिल तप की आराधना। आचार्य सम्राट आनन्द ऋद्धि जी की जन्मजयंती को मनाते हुए महासती ने सभी को अधिक से अधिक त्याग तपस्या के साथ बनाने को कहा। आचार्य भगवन ने 13 वर्ष की आयु में दीक्षा अंगीकार की थी। वो आठ सम्पदा के धनी थे। हमें भी उनके जीवन से बहुत कुछ सीखना चाहिए।
महिला मण्डल अध्यक्षा सुशीला लोढ़ा ने बताया कि श्रमण संघीय द्वितीय पट्टधर आचार्य आनन्द ऋषि जी म. सा. की जन्मजयंती पर श्री अखिल भारतीय श्वेतांबर स्थानक वासी जैन कॉन्फ्रेंस द्वारा पूरे भारत में 1,08,000 आयम्बिल का आव्हान किया गया था। ब्यावर शहर में ही 200 से अधिक आयम्बिल तप की आराधना कर जन्मजयंती मनाई।
महासती के चातुर्मास में छोटी बड़ी कई तपस्याएं गतिमान हैं। पर्युषण में ही अबतक 150 से अधिक तेले तप की आराधना हो चुकी हैं। लगभग 1300 से अधिक श्रावक श्राविका प्रतिदिन प्रवचन श्रवण कर रहे है। प्रतिदिन 12 घण्टे का नवकार मन्त्र का जाप अनवरत चल रहा हैं। महिलाओं एवं बच्चों के लिए धार्मिक प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जा रहा हैं।
*देवराज लोढ़ा – अध्यक्ष* +91 98295 85000
*हेमंत बाबेल – मंत्री* +919829125976
*रूपेश कोठारी – मीडिया प्रभारी*
*श्री जैन दिवाकर संघ*