संघ गुरुदेव श्री प्रियदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि गुरुदेव श्री पन्नालाल जी महारासा के जीवन को आधार बनाकर हमें आगे बढ़ने का प्रयास करना है। चीकू के पेड़ पर चीकू ही लगता है, और आम के पेड़ पर आम ही लगता है, मगर गुरुदेव के जीवन को देखकर तो लगता है जैसे सारे फल फूल आकर एक ही वृक्ष पर लग गए हो। यानी ऐसा कौन सा सद्गुण या विशेषण है जो गुरुदेव के जीवन में मौजूद नहीं है। गुरुदेव की सबसे प्रमुख विशेषता जीव दया की। एक भी जीव का दुख, पीड़ा या तकलीफ वह नहीं देख पाते थे। इस हेतु उन्होंने श्रावक श्राविकाओं के साथ-साथ राजा महाराजाओं एवं अन्य जनों को भी समझने का कार्य किया।
शाहपुरा से नसीराबाद कटने के लिए जाने वाले 1000 बकरों के बारे में गुरुदेव को समाचार मिले तो गुरुदेव के दिल की करुणा बोल उठी। उन्होंने उन्हें रुकवा कर शाहपुरा नरेश को इन बकरों को अभय दान दिलाने के लिए पत्र लिखा। तब गुरुदेव की पवित्र भावना का असर शाहपुरा नरेश पर भी हुआ, उन्होंने उन बकरों को मुक्त कर दिया ।
मसूदा राव साहब से कहकर मसूदा तालाब में मछली पकड़ने पर पाबंदी लगाई ।मसूदा राव साहब जब महासती श्री सुगन कंवर जी महारासा की छोटी उम्र में दीक्षा का विरोध करने लगे तब गुरुदेव ने उन्हें समझाया की दीक्षा का विचार आना कोई सामान्य बात नहीं है, बड़ी-बड़ी उम्र वालों के मन में भी दीक्षा के विचार सहजता से नहीं आता है यह तो कुछ हलुकर्मी आत्माएं ही होती है, जो पूर्व जन्म से दीक्षा के संस्कार साथ में लेकर आती है ।तभी तो छोटी उम्र में दीक्षा की भावना प्रकट हो सकती है। गुरुदेव ने शंकराचार्य नामदेव और एकलिंग जी का उदाहरण देकर समझाया और तब राव साहब समझे और स्वयं भी दीक्षा महोत्सव का हिस्सा बने ।
मसूदा के आसपास के रावत मेहरात समाज के 1000 लोगों द्वारा विजयनगर को लूटने के समाचार जब गुरुदेव को मिले तो मसूदा राव साहब व भड़कतिया जी को कहकर बिना हिंसा के विजयनगर को लूटने से बचाया।
पुष्कर के पास गनाहेड़ा गांव में होने वाली पशु बलि को अथक प्रयास से गुरुदेव ने बलि प्रथा बंद करवाकर जीव दया का अनुपम कार्य किया। इस प्रकार गुरुदेव प्रभु महावीर के अहिंसा धर्म के सच्चे पुजारी थे । जीवो के प्रति दया और करुणा की अत्यंत भावना होने के कारण ही उन्हें दीनदयाल भी कहा जाता है, हम भी उन गुरुदेव द्वारा दिए गए जीव दया के संदेश को हमारे जीवन में उतार पाए तो हमारा भी यह जिनवाणी को सुन पाना सार्थक हो सकेगा ।
प्राज्ञ गुरु जन्म जयंती के उपलक्ष में आज महिला मंडल द्वारा गुरुदेव के जन्म से लेकर संयम ग्रहण तक के जीवन पर नाटिका की गई ।महिला शिविर का आज समापन कार्यक्रम रखा गया ।आज का दिवस पोरसी दिवस के रूप में मनाया गया। दोपहर में बालक बालिकाओं का धार्मिक संस्कार शिविर रखा गया। कल का दिवस भिक्षु दया दिवस के रूप में मनाया जाएगा ।
धर्म सभा को पूज्य श्री सौम्यदर्शन जी महारासा ने भी संबोधित किया ।
धर्म सभा का संचालन बलवीर पीपाड़ा ने किया।
पदमचंद जैन
*मनीष पाटनी,अजमेर*