संघनायक गुरुदेव श्री प्रियदर्शन मुनि जी महारासा ने फरमाया कि हम परमपिता परमात्मा की मंगलमय जीवन गाथा को सुन रहे थे कि रिजु बालिका नदी के किनारे प्रभु शुक्ल ज्ञान की परम अवस्था,चरम शिखर पर थे और शपक श्रेणी पर आरूढ़ होकर कर चार घणघाती कर्मों का क्षय करके केवल ज्ञान को प्राप्त किया। केवल ज्ञान को प्राप्त करने के लिए धर्म ध्यान से भी ऊपर उठकर परम शुक्ल ध्यान को प्राप्त करना होता है ।अंदर का सारा अंधकार हटने पर एक ऐसा दिव्य प्रकाश उत्पन्न हुआ, जिसके सामने बाकी सारे प्रकाश गौण हो गए। ऐसा ज्ञान जिसमें शेष सभी ज्ञान समाहित हो गए। तब देवराज इंद्र स्वयं हजारों देवताओं के साथ प्रभु का केवल ज्ञान महोत्सव मनाने पधारते हैं ।प्रभु ने प्रथम देशना फरमाई लेकिन कोई भी व्रत प्रत्याखान नहीं हुये, क्योंकि अपार ऐश्वर्या के धनी देवताओं को भी व्रत प्रत्याखान ग्रहण करने का सामर्थ्य प्राप्त नहीं है।हम कितने सौभाग्यशाली हैं कि हमें यह अवसर प्राप्त हुआ है।भगवान की देशना खाली गई,इसी को ध्यान में रखकर प्रवचन के पश्चात व्रत प्रत्याखान कराए जाते हैं। सभी को कुछ ना कुछ प्रत्याखान अवश्य ग्रहण करना चाहिए। और इसी के साथ प्रतिक्रमण के अंत में भी प्रत्याखान ग्रहण करना चाहिए।ताकि छटा प्रत्याखान आवश्यक पूर्ण हो सके।
जिनवाणी को ग्रहण करने वाले कहां मिलेंगे,यह विचार करके प्रभु मध्य अपापा पधारे।उस समय वहां सोमिल ब्राह्मण के यज्ञ में देश के 11 प्रसिद्ध विद्वान पधारे थे। देवताओं के उस तरफ आने पर इंद्रभूति गौतम कहने लगे कि यह यज्ञ की आहुति लेने स्वयं देवता धरती पर आ रहे हैं। मगर देखा कि देवता तो आगे की तरफ बढ़ गए। तभी किसी संन्यासी ने बताया कि यहां एक महावीर नामक साधु आया है, जिसके लिए देवता समवशरण की रचना कर रहे हैं। तब इंद्रभूति गौतम अभिमांन के साथ प्रभु को परास्त करने की भावना से पधारते हैं। आगे का प्रसंग यथा योग्य सुनने का प्रयास करेंगे।
आज चातुरमासिक पर्व है।5 महीने आपके यहां रुकने का प्रसंग बना। चातुर्मास किया जाता है, जीव रक्षा के लिए,और विहार किया जाता है आत्मरक्षा के लिए।क्योंकि एक स्थान पर ज्यादा रुकने से मोह के बढ़ने की संभावना रहती है।
पांच माह तक आपने धर्म,ध्यान, त्याग, तपस्या,जिनवाणी श्रवण आदि का लाभ लिया लेकिन आज परीक्षा परिणाम का दिवस है तो मैं आपके मूल्यांकन की जिम्मेदारी आपको स्वयं को देता हूं कि आप अपना मूल्यांकन स्वयं करें। अब समय जुगाली करने का है,जो बात आपको परमात्मा की अच्छी लगी उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें। पुष्कर रोड संघ, महिला मंडलयुवा मंडल,त्याग तपस्या करने वाली बहिने,ज्ञान, ध्यान, गोचरी पानी में सेवाएं देने वाले भाई-बहन और व्याख्यान परिषद में बैठने वाले भाई-बहन आदि समस्त जन जिनका चातुर्मास को सफल बनाने में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोग रहा।सबके प्रति मंगल कामना की आपकी भावनाएं और पुरुषार्थ उत्तरोतर प्रगति करें।
बात चल रही थी गुरु दक्षिणा की।तो स्वयं या किसी को संघ में दीक्षित करने का प्रयास करें।उदाहरण आता है सम्राट अशोक का, कि बौद्ध भिक्षु उपगुप्त की प्रेरणा पर उन्होंने अपने बेटे महेंद्र वह बेटी संघमित्रा को संघ में समर्पित किया।इतना ना हो सके तो भी घर में प्रतिदिन धोवन पानी और सामूहिक प्रार्थना अवश्य हो। ऐसा प्रयास करें। नन्हे मुन्ने बच्चों में धर्म के संस्कार बने रहे ऐसा प्रयास करें। चातुरमासिक क्षमा याचना की गई।
धर्म सभा में वक्ताओं ने विदाई गीत वह गुरु गुणगान करके अपने विचार अभिव्यक्त करें।
धर्म सभा को पूज्य श्री सौम्यदर्शन मुनि जी महाराज साहब ने भी संबोधित किया।
धर्म सभा का संचालन बलवीर पीपाड़ा एवं हंसराज नाबेड़ा ने किया।
पदमचंद जैन