बाढ़ बचाव मॉक अभ्यास हुआ फॉयसागर पर

अजमेर, 6 फरवरी। बाढ़ बचाव के सम्बन्ध में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा मोचन दल, नागरिक सुरक्षा एवं प्रशासन का संयुक्त बाढ़ बचाव मॉक अभ्यास मंगलवार को आयोजित हुआ।

जिला कलक्टर डॉ. भारती दीक्षित ने बताया कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा के समय जान-माल के बचाव के पूर्वाभ्यास के रूप में संयुक्त मॉक अभ्यास फॉयसागर पर आयोजित हुआ। इसमें राष्ट्रीय आपदा मोचन दल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन दल (एसडीआरएफ), नागरिक सुरक्षा, राष्ट्रीय कैडेट कोर, स्काउट, होमगार्ड, पुलिस विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम तथा अन्य अभिकरणों ने भाग लिया। बाढ़ की स्थिति में आसन्न संकट से बचाव का प्रायोगिक प्रदर्शन किया गया।

उन्होंने बताया कि सूचना मिलते ही समस्त घटकों ने मौके पर पहुंचकर अपना कार्य तत्काल प्रभाव से आरम्भ कर दिया। एनडीआरएफ ने सैटेलाईट फोन के माध्यम से निकटवर्ती केन्द्र से सम्पर्क स्थापित किया गया। क्विक डिप्लॉयमेण्ट एण्टेना (क्यूडीए) को इन्स्टॉल किया। पास के युनिट मुख्यालय पर ऑडियो कॉल और विडियो कॉल कर घटना की अपडेट जानकारी साझा की। यहीं पर कमाण्ड पोस्ट एवं मेडिकल पोस्ट भी स्थापित की गई थी।

उन्होंने बताया कि मवेशी तथा आमजन के डूबने की सूचना मिलने पर एसडीआरएफ तथा एनडीआरएफ की नौकाओं ने मौके पर पहूंचकर ग्रामीणों को बचाया। जीवनरक्षक नाव एवं जीवन रक्षक जैकेट का उपयोग किया गया। डूबने से घायल को शिविर तक लाकर उपचार किया। चिकित्सा सुविधा दी गई। इसी प्रकार जीवनरक्षक नाव के पलटने से उस पर सवार व्यक्तियों को भी बचाया। उनमें से कईयों को तैरना नहीं आता था। ऎसे व्यक्तियों को भी गोताखोरों ने बचाया। इनके लिए रोबोटिक लाईफ सेविंग बॉय का उपयोग किया गया था। इनमें से एक व्यक्ति के लम्बे समय तक पानी में रहने के कारण हाइपोथर्मिया हो गया। उसे कृत्रिम श्वास देकर विशिष्ट उपचार के लिए निकटवर्ती चिकित्सालय में रेफर किया गया।

उन्होंने बताया कि गहरे पानी में डूबे व्यक्ति को बचाने के लिए गोताखोर कई फीट गहरे पानी में उतरे। उसे ढूंढकर बाहर निकाला। बेहोशी की स्थिति में जीवन रक्षक नाव पर ही प्री हॉस्पीटल ट्रीटमेन्ट सुनिश्चित किया गया। उस व्यक्ति के पेट तथा फेफड़ों में भरे पानी को बाहर निकालने के लिए चार अलग-अलग पद्धतियां अपनाई गई। घायल व्यक्ति की नाड़ी में नहीं चल रही थी। इस परिस्थिति में सीपीआर से उपचार किया गया। होश में आने तक चिकित्सक द्वारा उपचार किया गया।

पुलिस अधीक्षक श्री चूनाराम जाट ने कहा कि आपदा की वास्तविक स्थिति में भी इसी प्रकार आपसी समन्वय के साथ कार्य करना होगा। समस्त अभिकरणों को आपस में हमेशा सम्पर्क में रहना चाहिए। समस्त अभिकरणों के पास आधुनिक एवं उत्तम उपकरण है। इनका आपदा के समय बेहतर उपयोग जानें बचाने मेें सहयोगी होगा।

राष्ट्रीय आपदा मोचन दल के राजस्थान प्रभारी श्री योगेश कुमार मीणा ने कहा कि बाढ़ की स्थिति में व्यक्ति को अपना हौसला बनाए रखना चाहिए। वह अपने आस-पास उपलब्ध वस्तुओं से जीवन रक्षक उपकरण तैयार करें। प्लास्टिक की खाली 6 बोतलें सीने पर बांधकर व्यक्ति तैरता रहता है। थर्माकोल को कट्टे में भरकर भी पानी पर तैरा जा सकता है। सूखे हुए 6 नारियल की माला बनाकर सीने पर बांधी जा सकती है। बडे़ बर्तनों के मुंह बांधकर उनका उपयोग भी जीवन बचाने में करना चाहिए।

इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री लोकेश कुमार गौतम, श्री राधेश्याम डेलू एवं श्री जगदीश प्रसाद गौड़, नगर निगम आयुक्त श्री देशल दान, राज्य आपदा मोचन दल की कम्पनी कमाण्डर श्रीमती उर्मिला राज, राष्ट्रीय कैडेट कोर के सुबेदार मेजर श्री जयपाल, नागरिक सुरक्षा की डिप्टी कमाण्डेण्ड शिवाक्षी खाण्डल एवं श्री प्रशान्त झा, स्काउट के नियन्त्रण अधिकारी श्री मनमोहन स्वर्णकार, सीएमएचओ डॉ. अनुज पिंगोलिया सहित अधिकारी उपस्थित रहे।

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