कर्म, अकर्म एवं विकर्म की अवस्था में जिस कर्म को करने से चिंता एवं तनाव सबसे न्यून हो, इस प्रकार के कर्म के चयन की कुशलता ही योग कहलाती है। दिन प्रतिदिन की परिस्थितियों का सामना हमारा मन करता रहता है जिसकी अत्यधिक गतिशीलता नाड़ी तंत्र में विचलन उत्पन्न करती है तथा इसके कारण रोगों की मानसिक अवस्था व्याधि से हम ग्रस्त हो जाते हैं तथा लंबे समय तक ऐसी अवस्था बनी रहने से वह व्याधि के रूप में शरीर के स्तर पर प्रकट होने लगती है। नियमित योग के अभ्यास से मन को शांत करने की प्रक्रिया अपनाते हुए शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर आरोग्य प्राप्ति संभव है। उक्त विचार विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी राजस्थान प्रान्त के कार्यपद्धति प्रमुख डाॅ0 स्वतन्त्र शर्मा ने टोरण्टो पैलेस गार्डन, भजनगंज, अजमेर में आयोजित निःशुल्क योग सत्र के तीसरे दिन के अभ्यास के दौरान व्यक्त किए।
नगर प्रमुख भारत भार्गव ने बताया कि आज सूर्यनमस्कार का अभ्यास सिखाया गया तथा आगामी दिनों में आसन एवं प्राणायाम के अभ्यासों को सिखाया जाएगा। सत्र प्रतिदिन 5.45 से 7.00 बजे तक संचालित किया जा रहा है तथा इसका समापन 21 जून को होगा।