*आचार्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में दीक्षार्थियों की गोद भराई कल*
*शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में वर्षायोग प्रवचन*
भीलवाड़ा, 21 अगस्त। पहले तो एक रावण था लेकिन आज घर-घर में रावण पैदा हो गए है हालॉकि आज भी कोई रावण नाम नहीं रखना चाहता है। मात्र सीता के प्रति भाव खराब करने से रावण का आज भी हर वर्ष पुतला जलाया जाता है जबकि आज के रावण कई जगह चीरहरण ओर दुष्कर्म कर रहे है। ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक(वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन के तहत बुधवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिस चिकित्सक को भगवान मानते हो उसी के साथ आज दुर्व्यवहार हो रहा है ओर उसकी भी जिंदगी सुरक्षित नहीं है। कोलकात्ता से लेकर महाराष्ट्र तक ऐसी घटनाएं हो रही है पर प्रशासन सोया हुआ लगता है। भारत अपराध में नंबर एक होता जा रहा है। आचार्यश्री ने कहा कि मुनिराजों के साथ आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है लेकिन प्रशासन सुरक्षा प्रदान नहीं कर पा रहा है। हम जागेगे तभी सुरक्षित रह पाएंगे सभी को एकता के सूत्र में बंधना होगा। हम गरीब भारतीयों के लिए सोचेंगे तभी देश महान बन पाएगा। आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में गुरूवार को सुबह 8 बजे दीक्षार्थियों की गोद भराई का कार्यक्रम होगा। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि इस दौरान पूज्य संत श्रमणाचार्य विर्मशसागर महाराज की संघस्थ विमर्शनुरागिनी बा.ब्र. विशु दीदी सहित 13 दीक्षार्थियों एवं आचार्य सुनीलसागर महाराज के मंगल सानिध्य में दीक्षा लेने जा रहे 3 दीक्षार्थियों की गोद भराई होगी। उन्होंने सभी साधर्मी बंधुओं से इस आयोजन में पधारकर पुण्यलाभ प्राप्त करने की अपील की है। इससे पूर्व प्रवचन में आर्यिका सुलक्ष्यमति माताजी ने कहा कि मुनि सकल संयमी व भाग्यशाली होता है। वैराग्य उनका सबसे बड़ा पुरूषार्थ है। आचार्यश्री ने बारह भावना का चयन किया है जिसको आने से वैराग्य उत्पन्न होता है। मन से भावना करके सब सुख भोग सकते है। मन को बारह भावना में लगा दो वह व्यस्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह संसार सांप सीढ़ी का खेल है। स्वभाव व विभाव से उपर नीचे का खेल है। मन को उसमें लगाने से वैराग्य नहीं तो धर्मध्यान तो हो ही रहा है। सांयकालीन जिज्ञासा समाधान सत्र में आचार्यश्री ने श्रावकों की जिज्ञासाओं का आगम से समाधान किया। आर्यिका सुलक्ष्यमति माताजी ने धर्मकक्षा में साता वेदनीय कर्म में दान में साधु संतों को आहार देने का महत्व बताया। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। संचालन पदमचंद काला ने किया। महावीर सेवा समिति द्वारा बाहर से पधारे अतिथियों का स्वागत किया गया। वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।
*भागचंद पाटनी*
मीडिया प्रभारी
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