स्मारक पर प्रतीमा के समक्ष श्रृद्धा सुमन अर्पित
अजमेर 22 अगस्त। स्वतंत्रता संग्राम में बलिदानी सिन्ध के सपूत रूपलो कोल्ही के बलिदान दिवस पर प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित व सिंधुपति महाराजा दाहरसेन की 1355वी जयंती के सात दिवसीय कार्यक्रमों में हरिभाउ उपाध्याय विस्तार स्थित दाहरसेन स्मारक पर किये गये।
इस अवसर पर समारोह के विक्रम सिंह बोध, अखिल भारतीय कोली समाज के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि वीर देश भक्त को मौत की सजा सुनाई गई। अंग्रेजों का साथ देने वालों को इनाम में जागिरे दी गई। धरती माता के इस सपूत रुपलो कोल्ही को 22 अगस्त 1859 को फांसी दी गई। उनके किए गए किरदार ने उनको हमेशा के लिए अमर कर दिया। रूपलो कोल्ही विराट व्यक्तिव के धनी थे, समाज की छुपी प्रतिभाओं को सही पहचान मिलती है। रूपलो कोल्ही के राष्ट्रभक्ति के संस्कार अपने परिवार से प्राप्त कर अंग्रेजो के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करते रहे। राष्ट्र की रक्षा हेतु उन्होनें कभी भी अंग्रेजो के प्रभोलनों के आगे घुटने नहीं टेकें। आठ हजार अनुयाईयों के साथ अंग्रेजो के खिलाफ लडते हुए शहीद हुए।
दीलीप पारीख ने रूपला कोल्ही के जीवन की घटनाओं की जानकारी दी, सिंध इतिहास साहित्य शोध सस्थान के अध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी ने कहा कि शोध के माध्यम से रूपला कोल्ही के जीवन की गाथाऐं एकृत की जा रही है जो आने वाले समय में देवनागरी सिंधी व हिन्दी में प्रकाशित की जायेगी। आभार प्रकाश हिगोरानी प्रकट किया।
इस अवसर पर विक्रम सिंह राठौड़, अखिल भारतीय कोली समाज के प्रेम सिंह, संजय सांखला, हीरा सिंह, डॉ. लेखराज बोध, ताराचंद, हरजीत सिंह, सुरेश कुमार खोरवाल, चतुर्भुज, दुर्गेश डाबरा सहित समारोह समिति से विनित लोहिया, शिव प्रसाद गौतम, मोहन आसवानी, सहित कार्यकर्त्ता उपस्थित थे।
जयंती समारोह सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन विकास व समारोह समिति के साथ नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण, पर्यटन विभाग, भारतीय सिन्धु सभा, सिन्धु साहित्य एवं इतिहास शोध संस्थान अजमेर, अखिल भारतीय कोली समाज, अजमेर, भारतीय इतिहास संकलन समिति का सहयोग रहता है।
कल के कार्यक्रम: महाराजा दाहरसेन के जीवन पर ऑनलाइन गोष्ठी दिनांक 23 अगस्त 2024 को कार्यक्रम दोपहर 2 बजे सोशल मिडिया के प्लेट फार्म पर आयोजित की जाएगी जिसे भारतीय इतिहास संकलन व समारोह समिति द्वारा आयोजित की जाएगी।
समन्वयक
9829070059
स्वतंत्रता संग्राम के शहीद
सिन्ध के सपूत रूपलो कोल्ही का जीवन परिचय
स्वतंत्रता संग्राम में शहीद रूपलो कोल्ही का जन्म सिन्ध की महान धरती पर 19वीं सदीं की दूसरी दहाई में धरपारकर जिले के नगरपारकर कोल्ही कबीले में हुआ। बाल्याव्यवस्था से ही शूरवीरता और मातृभूमि के प्रेम की भावना उनमें अर्न्तनिहित थी, उनका पालन पोषण कारूंझर पहाड़ों के कतारों के कबीले की रस्मो के मुताबिक खानदानी हथियारों तीर कमानो, भालो और घातक हथियारों को चलाने की महारत हासिल थी। जवानी में पहाड़ों और भट्टो में कई दरिंदों को मार गिराया वह बहादुर फुर्तीले और सुंदर जवान थे वे अपनी दिलेरी जवागर्दी के कारण अपने कबीले में और दूसरे कबीले में बड़े आदर की नजर सेदेखे जाते थे।
15 अप्रैल 1859 को रूपलो और उनके साथियों ने अंग्रेजों के खिलाफ झंडा बुलंद किया। थरपारकर के इन सुरमों ने नगरपारकर के हेड क्वार्टर पर जोरदार हमला किया टेलीग्राफ के तार तोड़े चारों और रास्ते बंद कर दिए सरकारी खजाने को लूटा अंग्रेज रेजीडेंट जान बचाकर भागे। नगरपारकर के मुख्तियारकार डेयूमल इसकी जानकारी अपने अंग्रेज आकाओं के हैदराबाद में दी। हैदराबाद छावनी के आफिसर कर्नल इयुनिस के प्रतिनिधित्व में थर बलोची में एक विंग नगरपारकर की तरफ रवाना हुई कुछ तोपखाना कराची से रवाना हुआ। उन सभी फौजो की अगवानी कर्नल इयुनिस ने संभाली नगर पारकर हुर्रियत पसंदो को कुचलने के लिए 3 मई 1859 को हमला किया गया। प्यारे वतन सिंध के सिंधियों के पुराने हथियार अंग्रेजो की बंदूको के सामने टिक नहीं सके। इसलिए पहाड़ी किले चंदन गढ़ में बंद हो गए। कर्नल इयुनिस ने कुछ गद्दार सरदारोंकी मदद से चंदन गढ़ किले को तोपो से उड़ा दिया। जहां से कई बहादुर वीरों को गिरफ्तार किया गया और कुछ लोगों ने करूंझर पहाड़ो में जाकर पनाह ली। रूपलो कोल्ही उसके दौरान अपने साथियों को रोटी और खाने के सामान पहुंचाने लगापर किसी गद्ार ने यह जानकारी अंग्रेजों को दी और अंग्रेजों ने रुपलो कोल्ही व अन्य साथियों को घेरकर गिरफ्तार कर लिया।
उनके गिरफ्तारी के बाद उनके हाथों पर तेल डाल कर दिए जलाए गए, प्रताड़ना दी गयी पर वफादार कोल्ही ने फिर भी फिरंगीयो को अपने दूसरे साथियों के बारे में कुछ नहीं बताया। रुपलो को जागीर की लालच भी दी अन्य प्रलोभन दिये गये पर फिर भी उसने अपने साथियों का पता ठिकाना नहीं बताया बाद में रूपलो कोल्ही और उनके साथियों पर बगावत का मुकदमा चलाया गया। वीर देश भक्त को मौत की सजा सुनाई गई। अंग्रेजों का साथ देने वालों को इनाम में जागिरे दी गई। धरती माता के इस सपूत रुपलो कोल्ही को 22 अगस्त 1859 को फांसी दी गई। उनके किए गए किरदार ने उनको हमेशा के लिए अमर कर दिया। ऐसे थे हमारे महान योद्धा, वीर, देशभक्त अंग्रेजो का डटकर मुकाबला किया व अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया।
दिनांक 16 जून 2022 को सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक,
हरिभाउ उपाध्याय नगर, अजमेर में प्रतिमा का अनावरण किया गया।