नई पीढ़ी को सिन्ध सभ्यता से परीचित कराना हमारी मुख्य जिम्मेदारी-लखावत
अजमेर 23 अगस्त। सिन्ध इतिहास व साहित्य शोध संस्थान व भारतीय इतिहास संकलन समिति के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय ऑनलाइन गोष्ठी वर्तमान परिपेक्ष्य में यशस्वी सिन्ध व हमारी भूमिका पर राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष राजस्थान सरकार में राज्यमंत्री ओंकार सिंह लखावत ने कहां कि सिन्ध सभ्यता का प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है। जब विश्व की अन्य सम्भ्यताओं में लोग कपड़े पहना भी नहीं जानते थे तक सिन्ध सभ्यता अत्यन्त विकसित अवस्था में थी। उन्होंने कहां कि सिन्ध के बगैर हम अधूरे है और हमारे बिना सिन्ध अधूरा है। सिन्ध व हिन्द हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग है अतः नई पीढ़ी को सिन्ध की सभ्यता से परीचित कराना हमारी मुख्य जिम्मेदारी है।
संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के सेवानिवृत्त प्रो. मधुर मोहर रंगा ने महाराजा दाहरसेन व उनके बलिदान के साथ-साथ प्राचीन सिंध के एतिहासिक स्थानों का उल्लेख करते हुए यशस्वी सिन्ध के गौरवशाली परम्पराओं को पाठ्यक्रमों में स्थान देने हेतु आह्वान किया व सिन्धी भाषा को उचित स्थान दिलाने हेतु प्रयास की आवश्कताओ ंपर बल दिया।
मदस विश्वविद्यालय के प्रो. अरविन्द पारीक ने कहां कि सिन्ध हमारा मस्तक है, मनुष्य को श्रेष्ठ बनाने में सिन्ध को योगदान जाता है। क्योंकि सबसे पुरानी सिन्धु घाटी सभ्यता है। सिन्ध पर शोध व अध्ययन पाठ्यक्रमों में शामिल करने में हम सबको योगदान देना होगा।
लेखक व वरिष्ठ पत्रकार गिरधर तेजवानी ने कहां कि महाराजा दाहरसेन से आम व्यक्ति भी परिचित नहीं था तब ओंकार सिंह लखावत ने दाहरसेन स्मारक बनाकर उनके बलिदान व उनकी गाथाओं को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। अजमेर स्थित सिंध इतिहास व साहित्य शोध संस्थान में रूपांतरण व शोध का कार्य जारी है।
भारतीय इतिहास संकलन समिति – सचिव डॉ. हरीश बेरी ने कहां कि सिन्ध के इतिहास की जानकारी लोगों में होना इसलिए भी आवश्यक है गुरूवार को कोन बनेगा करोड़पति में प्रश्न पूछा गया कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल ऐसी कोन सी भाषा है जिसके बोलने वालों की संख्या भारत से अधिक अन्य देशों में है उसका सहीं उत्तर था सिन्धी भाषा था। इतिहास संकलन द्वारा सिन्ध पर प्रश्नोंत्तरी कार्यक्रमों की भी चर्चा आज तक है।
भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहां कि सिन्धी भाषा और सम्भ्यता को आगे बढाने में भारतीय सिन्धु सभा को बड़ा योगदान है। कार्यक्रम को संचालन कंवल प्रकाश किशनानी ने किया।
शनिवार 24 अगस्त को मुख्य कार्यक्रम
सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन के 1355वीं जयंती के अवसर पर देशभक्ति व सांस्कृतिक कार्यक्रम व पुरस्कार वितरण कार्यक्रम शनिवार 24 अगस्त 2024 को प्रातः 9 बजे दाहरसेन स्मारक हरिभाउ उपाध्याय नगर विस्तार, पुष्कर रोड, पर आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम नगर नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण, पर्यटन विभाग, भारतीय सिन्धु सभा, सिन्धु साहित्य एवं इतिहास शोध संस्थान अजमेर, अखिल भारतीय कोली समाज, अजमेर, भारतीय इतिहास संकलन समिति का सहयोग रहता है।
मो. 9829070059