*लोकरंजन का भंजन कर लेंगे तो आत्मा का भजन हो जाएगा-आचार्य सुंदरसागर महाराज*

*भगवान का पता करना है तो अपना पता छोड़ना पड़ेगा*
*शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में वर्षायोग प्रवचन*

भीलवाड़ा, 31 अगस्त। सुख के दिनों में आवाजे कम आती है पर जब दुःख आता है तो सबकी आवाज जोर से आती है। वीर प्रभु महावीर का नाम लेते ही रोम-रोम आनंदित हो जाता है। लोकरंजन से आत्म भजन नहीं होता है। लोकरंजन का भंजन कर लेगा तो आत्मा का भजन हो जाएगा। लोक को प्रिय मान लेना गलत है ओर लोकप्रिय हो जाना शुभ कर्मो का उदय है। लोक को प्रिय मान लिया तो मिथ्यात्व का उदय हो जाएगा। ये विचार शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मासिक (वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन के तहत शनिवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जब हमारे परिणाम ही नित्य नहीं है तो गुरू का नाम कैसे लिया जाएगा। गुणस्थान अतीत करने के लिए नाम भी अतीत करना पड़ेगा। कभी नाम लिखने के लिए दान देते हो तो कभी नाम मिटाने के लिए दान देते हो जो भी कषाय है। जब तक पुण्य है सभी पाप दब जाएंगे। आचार्यश्री ने कहा कि मुनि निंदा करने या अनुमोदना करने से बहुत पाप का बंध होता है। संसार में जिनशासन शाश्वत है। सबकी ड्रेस है पर जिनशासन बिना ड्रेस वाला है। सबका कोई न कोई एड्रेस है तो गुणस्थान है पर भगवान बनना है तो बिना एड्रेस के हो जाओ ओर ड्रेस छोड़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भगवान का पता करना है तो अपना पता छोड़ना पड़ेगा। मोक्ष रूपी केवल ज्ञान मिलेगा तो लक्ष्मी चरणों में गिरेगी। निज में आओ निग्रन्थ बन जाओ छपक श्रेणी की डिग्री मिल जाएगी फिर किसी अन्य डिग्री की आवश्यकता नहीं रहेगी। जिनशासन की डिग्री प्राप्त कर आत्मकल्याण करने का लक्ष्य रखे। इससे पूर्व प्रवचन में आर्यिका सुलक्ष्यमति माताजी ने कहा कि जीवन में समय बदलते देर नहीं लगती। चंचल मन को एकाग्र करने की जरूरत है। आज के विचार कल के शब्द बनेंगे ओर शब्द क्रिया बनेगी। जैसा करेंगे वैसा ही बनेंगे। इन्द्रियों का राजा मन होने से मन पर नियंत्रण आवश्यक है। मन को 12 अनुप्रेक्षाओं पर केन्द्रित करना है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के नियमों को समझ जाएंगे तो दुःखी होना बंद होकर मन में समता भाव जागृत होंगे। अनित्य भावना बताती है कि सब परिवर्तनशील है केवल अनित्य ही नित्य है। जो उत्पन्न हुआ है उसका अंत निश्चित है। जीवन में हमेशा सोच सकारात्मक रखने पर सफलता मिलती है। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि डूंगरपुर प्रगतिनगर से जैन समाज के श्रावकों द्वारा भी आचार्यश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया गया। संचालन सुरेन्द्र काला ने किया। महावीर सेवा समिति द्वारा बाहर से पधारे अतिथियों का स्वागत किया गया। वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।

*भागचंद पाटनी*
मीडिया प्रभारी
मो.9829541515

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