छल कपट रहित होकर कथनी ओर करनी एक समान हो वहीं उत्तम आर्जव धर्म-मुनि सुगमसागर*

*सुपार्श्वनाथ पार्क में दशलक्षण पर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की आराधना*

भीलवाड़ा, 10 सितम्बर। आचार्य श्री सुंदरसागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में दसलक्षण (पर्युषण) महापर्व की आराधना शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में तीसरे दिन मंगलवार को भी श्रद्धा व भक्तिभावना के साथ जारी रही। दशलक्षण महापर्व के तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की आराधना की गई। प्रवचन में मुनि सुगमसागर महाराज ने कहा कि जिसमें छल-कपट से रहित सहज,सरल सीधा व्यवहार दिखता हो उसे आर्जव कहते है। अपने मन को मायाचारी से बचाकर सरल,सीधा बनाने का उद्यम विशेष होता है उसे उत्तम आर्जव कहते है। उन्होंने कहा कि मन में इतनी सरलता हो कि उसे वाणी से सहज रूप से कह सके। मन,वचन व काया की सरलता होनी चाहिए। सम्यक दर्शन पूर्वक वितरागी सरलता को उत्तम आर्जव धर्म कहते है। जहां छल कपट रहित होकर कथनी ओर करनी एक समान हो वहीं उत्तम आर्जव है। हमारी भावों की शुद्धता होना भी जरूरी है। हम मन,वचन ओर काय से एक रूप हो जाए तो हम सही मायने में आर्जव धर्म को अपने में प्रकट कर सकेंगे। जब तक हम ऐसा नहीं कर पाते तब तक इस धर्म की भाव आराधना नहीं हो सकती। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि दशलक्षण पर्व के तीसरे दिन सुपार्श्वनाथ मंदिर में मुख्य शांतिधारा व आरती का सौभाग्य गुणमालादेवी पंकज बड़जात्या परिवार ने लिया। सौधर्मेन्द्र का इन्द्र व आरती का सौभाग्य संतोष मोनिका, नीरज, सोनू, भावित,रक्षित बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ।मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि आचार्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में उत्तम आर्जव धर्म पर पूजा अर्चना मय भक्ति संगीत के साथ संगीतकार हर्ष भोपाल एवं पंडित पदमचंद काला के निर्देशन में कराई गई जिसका कई श्रावक-श्राविकाओं ने लाभ लिया। पूजा के पूर्व श्रीजी को जुलूस के साथ श्रद्धालुओं द्वारा पांडाल में ले जाया गया। दोपहर में सरस्वती पूजा, तत्वार्थ सूत्र पूजा एवं वाचन हुआ। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत त्रिशला महिला मण्डल द्वारा धार्मिक तंबोला का आयोजन हुआ। शाम को सामायिक एवं प्रतिक्रमण हुआ। दशलक्षण पर्व के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म की आराधना होगी। इस दौरान प्रतिदिन सुबह 5 बजे ध्यान, सुबह 6.15 बजे नित्य अभिषेक एवं शांतिधारा, सुबह 7.30 बजे से श्रीजी का पांडाल में आगमन, सुबह 7.45 बजे से संगीतमय पूजन एवं मंगल प्रवचन हो रहे है। आहारचर्या के बाद दोपहर 2 बजे से तत्वार्थसूत्र पूजन,सरस्वती पूजन व तत्वार्थ सूत्र वाचन किया जा रहा है। शाम 6 बजे से प्रतिक्रमण एवं सामायिक, शाम 7.15 बजे से श्रीजी की आरती एवं शाम 7.40 बजे से आचार्यश्री की भक्तिमय आरती की जा रही है।

*भागचंद पाटनी*
मीडिया प्रभारी
मो.9829541515

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