*सुपार्श्वनाथ पार्क में दशलक्षण पर्व के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म की आराधना*
भीलवाड़ा, 11 सितम्बर। आचार्य श्री सुंदरसागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में दसलक्षण (पर्युषण) महापर्व की आराधना शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में चौथे दिन बुधवार को भी श्रद्धा व भक्तिभावना के साथ जारी रही। दशलक्षण महापर्व के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म की आराधना की गई। प्रवचन में आर्यिका सुलक्ष्य माताजी ने कहा कि लोभ,लालच,अति संग्रह का त्याग करना ही शौच है। लोभ को त्याग कर जीवन में शुचिता अर्थात पवित्रता को अपनाना ही उत्तम शौच है। जहां पर सम्पूर्ण कषायों का पूर्ण रूप से त्याग हो जाता है वहीं से शुरू होती है आत्मा की पवित्रता। यश का लोभ,रूप का लौभ, नाम का लोभ, काम का लोभ, लालसा, अभिलाषा चाह जीवन का लोभ, निरोगता का लोभ इन्द्रिय विषयों का लोभ आदि हर प्रकार के लोभ का त्याग ही उत्तम शौच धर्म है। उन्होंने कहा कि लोभवृति का त्याग कर संतोषवृति का धारण करना चाहिए। लोभ, तृष्णा को छोड़ने वाला मनुष्य परम सुख को प्राप्त करता है। जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में संतोष को धारण कर लिया उसका जीवन परम सुख को प्राप्त करता है। लोभ,लालच,अति सग्रंह का त्याग करना है। लोभ का त्याग कर जीवन में शुचिता यानि पवित्रता को अपनाना ही उत्तम शौच है। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि दशलक्षण पर्व के चौथे दिन सुपार्श्वनाथ मंदिर में मुख्य शांतिधारा व आरती का सौभाग्य मनोहरदेवी,विनोद, रेखा,कमलेश,सोमेश,सुधा,वत्सल,हितवी ठग परिवार ने लिया। सौधर्मेन्द्र का इन्द्र व आरती का सौभाग्य भागचंद,विजय,उषा,पारस,तरूण,वेदान्त, अर्श काला परिवार को प्राप्त हुआ।मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि आचार्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में उत्तम आर्जव धर्म पर पूजा अर्चना मय भक्ति संगीत के साथ संगीतकार हर्ष भोपाल एवं पंडित पदमचंद काला के निर्देशन में कराई गई जिसका कई श्रावक-श्राविकाओं ने लाभ लिया। पूजा के पूर्व श्रीजी को जुलूस के साथ श्रद्धालुओं द्वारा पांडाल में ले जाया गया। दोपहर में सरस्वती पूजा, तत्वार्थ सूत्र पूजा एवं वाचन हुआ। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत हाउसिंग बोर्ड महिला बहु ग्रुप द्वारा धार्मिक अतांक्षरी का आयोजन हुआ। शाम को सामायिक एवं प्रतिक्रमण हुआ। दशलक्षण पर्व के पांचवे दिन उत्तम सत्य धर्म की आराधना होगी। इस दौरान प्रतिदिन सुबह 5 बजे ध्यान, सुबह 6.15 बजे नित्य अभिषेक एवं शांतिधारा, सुबह 7.30 बजे से श्रीजी का पांडाल में आगमन, सुबह 7.45 बजे से संगीतमय पूजन एवं मंगल प्रवचन हो रहे है। आहारचर्या के बाद दोपहर 2 बजे से तत्वार्थसूत्र पूजन,सरस्वती पूजन व तत्वार्थ सूत्र वाचन किया जा रहा है। शाम 6 बजे से प्रतिक्रमण एवं सामायिक, शाम 7.15 बजे से श्रीजी की आरती एवं शाम 7.40 बजे से आचार्यश्री की भक्तिमय आरती की जा रही है।
*भागचंद पाटनी*
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