अजमेर/ वरिष्ठ फिजिशियन डॉ तरुण सक्सेना का हृदय रोगों के उपचार में सहायक शोध आलेख अमेरिका की शीर्ष जर्नल “कार्डियोलोजी एवं हार्ट डिसीज” में प्रकाशित हुआ है। भारत सक्सेना के सहयोग से हुए इस शोध में बताया गया है कि हृदय वाहिनी की झिल्ली ऐंडोमिलीयम का सामान्य होना सुचारू रक्तप्रवाह के लिये आवश्यक है। इसके लिये तेज वाली नाड़ी की बेसल या आधारभूत क्रिया का सामान्य होना भी जरूरी है। इसमें रक्तप्रवाह में वृद्धि के कारण एटीपी मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ होने से एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम या हृदयघात होने की संभावना बढ़ जाती है। समुचित नींद और तनाव में कमी करने से इस नाड़ी की तीव्रता में कमी आती है एवं हृदयघात के खतरे को कम किया जा सकता है।