किशनगढ़, अजमेर में नकली खाद बनाने वाली फर्मों के खिलाफ दूसरे दिन भी कार्यवाही जारी

अजमेर/जयपुर, 30 मई। कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने नकली खाद बनाने वाले माफियाओं के खिलाफ अपनी कार्यवाही को बरकरार रखते हुए शुक्रवार को भी किशनगढ़ के डिंडवाड़ा, उदयपुरकला, तिलोनियां, नालू और बांदरसिंदरी क्षेत्रों में स्थित फैक्टि्रयों में छापेमारी की। यह अभियान लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा, जिसमें मंत्री खुद फैक्ट्रियों में पहुंचे।

छापेमारी के दौरान फैक्ट्रियों में मार्बल के चूने और मिट्टी को मिलाकर नकली डीएपी, एसएसपी और पोटाश तैयार किया जा रहा था। खेतों और गोदामों में बनी अवैध फैक्ट्रियों में हजारों ब्राण्डे़ड नामों के खाली कट्टे और लेबल मिले। उर्वरकों को ब्राण्डे़ड कम्पनियों के नाम पर पैक किया जा रहा था और इन कट्टों को गांवों में किसानों को बेचने की तैयारी चल रही थी।

कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को उच्च गुणवत्ता युक्त खाद, बीज एवं उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। उर्वरकों की कालाबाजारी, जमाखोरी और नकली उर्वरकों पर अंकुश लगाने के लिए कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर विशेष गुण नियंत्रण अभियान चलाये जाते हैं।

अजमेर जिले में कुल 21 विनिर्माण इकाईयों स्थापित है, जो प्रोम, जैव उर्वरक एवं पोटाश ड्रिराविड फॉर्म मोलासिस आदि निर्माण किया जाता है। इन इकाईयों में से 8 इकाईयां अजमेर के किशनगढ़ क्षेत्र में स्थापित है।

कृषि मंत्री महोदय के निर्देशानुसार गुरूवार और शुक्रवार को किशनगढ क्षेत्र के गांव उदयपुरकलां, तिलोनिया, नालू आदि में स्थापित वैद्य व अवैद्य इकाईयों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान अतिशा बायोटेक चूरली के पास प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण का लाईसेंस है तथा बिना वैद्य लाईसेंस के सागरिका उर्वरक के निम्न गुणवत्ता के उर्वरक बनाये जा रहे थे। फर्म द्वारा प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण में उपयोग होने वाले अवयवों की सही जानकारी नही देने से 631.47 मेट्रिक टन प्रोम, पीडीएम, सागरिका सीज किया गया एवं 4 नमूनें लिए गये। ट्रोपिकल एग्रो सिस्टम इकाई के पास प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण का लाईसेंस है परन्तु फर्म द्वारा प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण में उपयोग होने वाले अवयवों की सही जानकारी नही देने से 246.01 मेट्रिक टन प्रोम एवं अन्य अवयवों को सीज कर 2 नमूनें लिए गये।

इसी प्रकार दिव्या एग्रो फर्टीलाइजर इंडस्ट्रीज इकाई के पास प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण का लाईसेंस है तथा बिना वैद्य लाईसेंस के सागरिका उर्वरक के निम्न गुणवत्ता के उर्वरक बनाये जा रहे थे। फर्म द्वारा प्रोम एवं पोटाश ड्रिराविड मोलासिस के विनिर्माण में उपयोग होने वाले अवयवों की सही जानकारी नही देने से अमानक क्वालिटी के 879.85 मै.टन प्रोम, पीडीएम, सागरिका आदि को सीज किया जा रहा है। भूमि एग्रो इंडस्ट्रीज, उदयपुर कलाँ इकाई के पास जैव उर्वरकों के विनिर्माण का लाईसेंस है। अवैद्य विनिर्माण रॉ मेटेरियल एवं जिप्सम मिलने के कारण 1750 मेट्रिक टन अवयव जिप्सम आदि सीज कर जांच के लिए नमूने लिये गये है। मैसर्स गोरधन एग्रो, उदयपुर कलाँ के पास प्रोम का लाईसेंस है। अवैद्य विनिर्माण रॉ मेटेरियल एवं जिप्सम मिलने के कारण 77.50 मेट्रिक टन अवयव जिप्सम आदि सीज किये गये है।

टिकावड़ा में तीन फैक्टि्रयों में प्रोम, पोटाश ड्रिराविड मोलासिस का रॉ मेटेरियल होने के संदेह में सीज कर दी गई, आगामी कार्यवाही की जा रही है तथा फैक्टि्रयां सीज की गई है। आज शुक्रवार को मैसर्स ग्रीन एग्रो इण्डस्ट्रीज एवं राधिका एग्रो इण्डस्ट्रीज बांदरसिदरी पर कार्यवाही प्रगति पर है।

इनमें से गुरूवार को 8 इकाईयों पर उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 की धारा 28 (1)(डी) के तहत सीज की कार्यवाही की गई तथा शुक्रवार को 2 वैद्य इकाईयों पर कार्यवाही प्रगतिरत है। स्थानीय अधिकारियों सहित राज्य स्तर के अधिकारियों द्वारा मौके पर उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार लगभग 2798.04 मैट्रिक टन विभिन्न उर्वरक को सीज कर वैधानिक कार्यवाही एवं नमूना आहरण की कार्यवाही की जा रही है। इस क्षेत्र में शेष इकाईयों पर कार्यवाही प्रगति पर है।

राज्य के अन्य जिलों में स्थापित शेष इकाईयों 277 पर भी सघन निरीक्षण हेतु जिला अधिकारियों को निर्देशित किया जा रहा है। 01 अप्रेल 2025 से अब तक उर्वरकों के 1464 नमूनें आहरित किये गये, जिसमें से 136 नमूनें अमानक पाये गये, जिनके विरूद्ध उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के अनुसार नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। खरीफ फसल पूर्व संघन गुण नियंत्रण अभियान दिनांक 15 मई 2025 से 10 जुलाई 2025 तक संचालित किया जा रहा है, जिसमें निरीक्षकों द्वारा विक्रेता एवं विनिर्माता के परिसरों को निरीक्षण करने, नमूना आहरित करने एवं अनियमितता पाये जाने पर उनके विरूद्ध आदेश/नियम/अधिनियम के अनुसार कार्यवाही की जा रही है।

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