लोकतंत्र सेनानियों का हुआ सम्मान, डॉक्यूमेंट्री की गई प्रदर्शित
अजमेर, 25 जून। आपातकाल लगाए जाने के 50 वर्ष पूर्ण होने पर मंगलवार को लोकतंत्र हत्या दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आपातकाल से जुड़े ऎतिहासिक दस्तावेजों की डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गई। लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को जिला कलक्टर श्री लोक बन्धु एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा शॉल ओढ़ाकर, बैग, बुक फोल्डर प्रदान कर सम्मानित किया गया।
अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लोकतंत्र सेनानियों को 20 हजार रुपए मासिक पेंशन, चिकित्सा, मुफ्त परिवहन सहित विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। वर्तमान में जिले के 46 लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान निधि प्रदान की जा रही है।
लोकतंत्र सेनानी श्री कृष्ण गोपाल दरगड़ ने अपने संस्मरण साझा करते हुए कहा कि आपातकाल लोकतंत्र पर एक ऎसा धब्बा है जिसे मिटाया नहीं जा सकता। गुजरात और बिहार के छात्र आंदोलनों, जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों, रायबरेली चुनाव को न्यायालय में चुनौती, मिसा और डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट के तहत की गई गिरफ्तारियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने उस दौर की यातनाओं और प्रताड़नाओं को याद किया। 25 जून 1975 को लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय था। इस दौरान देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस और नागरिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाए गए। ऎसे दौर में अनेक लोकतंत्र सेनानियों ने साहस दिखाते हुए लोकतंत्र की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि जेल में महीनों काल कोठरी में रहना पड़ा। तीन-तीन माह तक सूर्य के दर्शन नहीं मिलते थे। एक छोटी बैरक में 60 से 70 लोगों को बंद किया गया। भोज्य सामग्री में कीड़ों को जीरा समझकर खाना पड़ता था। नसीराबाद के कार्यकर्ताओं को सर्दी में बर्फ पर लेटाकर पंखा चला देते थे। केंद्र एवं राज्य सरकार ने लोकतंत्र के लिए त्याग समर्पण करने वाले सेनानियों को सम्मानित कर गौरवान्वित किया। साथ ही लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक पारित किया।
नगर निगम के उप महापौर श्री नीरज जैन ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान करना गर्व की बात है। इस काले दौर में जिन लोगों ने अपनी स्वतंत्रता और जीवन को दांव पर लगाकर लोकतंत्र की रक्षा की उनका प्रत्येक भारतीय ऋणी रहेगा। उस समय प्रेस और मीडिया पर सेंसरशिप, सामाजिक संगठनों पर प्रतिबंध और नागरिक अधिकारों के हनन ने लोकतंत्र की नींव को हिलाया था।
अध्यक्ष श्री रमेश सोनी ने कहा कि देश पर जबरन आपातकाल थोपा गया था। तत्कालीन शासक की सत्ता लोलुपता के कारण पूरा देश परेशान रहा। लोकतंत्र की हत्या हुई। देश के लिए यह काला धब्बा है। लोकतंत्र सेनानियों ने संघर्ष करके देश को प्रेरणा दी और संविधान को बचाया। श्री प्रेम सुख सुराणा ने कहा कि आपातकाल मेें देश को जेल बना दिया गया। यह असंवैधानिक था। मीडिया संस्थानों की बिजली काटी गई। कई अखबार बन्द हुए। 21 माह तक के संघर्ष में 1.5 लाख से अधिक व्यक्तियों को जेल में डाला गया। सतत संघर्ष से ही मां भारती आपातकाल से मुक्त हुई।
सम्मानित होने वालों में श्री अब्दुल मजीद खान, श्रीमती आशा देवी, श्री अशोक कुमार, श्री अशोक कुमार कच्छावा, श्री बाबूलाल सेन, श्रीमती भगवती देवी, श्री चतुर्भुज धाभाई, श्री घनश्याम व्यास, श्री गोपाल अग्रवाल, श्री गोविन्द प्रसाद वैषणव, श्री हंसराज, श्री जगदीश प्रसाद, श्री जयकिशन, श्री जितेंद्र दत्त, श्री कन्हैया लाल, श्रीमती कांता देवी, श्री कृष्ण गोपाल दरगढ़, श्री कृष्ण गोपाल शर्मा, श्री नंदकिशोर सोनी, श्री ओम नारायण व्यास, श्री पारस कोठारी, श्री परमेश्वर जैन, श्री प्रेमसुख सुराणा, श्री राधेश्याम, श्री एस.एन. खंडेलवाल, श्री संतोष कुमार, श्री सत्यनारायण, श्री श्याम रतन खरोल, श्री श्याम सुंदर, श्री सूरज करण, श्री त्रिलोक चंद सहित अन्य लोकतंत्र सेनानी शामिल रहे। कार्यक्रम में उपस्थित लोकतंत्र सेनानी यातनाओं को याद कर अपने आंसुओं को नहीं रोक पाए।
कार्यक्रम में देहात अध्यक्ष श्री जीतमल प्रजापत, कोषाधिकारी श्री भागीरथ सिंह लखावत, सहायक कोषाधिकारी श्वेता दाधीच, श्री रचित कच्छावा सहित अनेक जनप्रतिनिधि, लोकतंत्र सेनानी एवं उनके परिजन उपस्थित रहे।