अजमेर, 27 जून। ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म के कृषि अनुसंधान अधिकारी (उद्यान) उपवन शंकर गुप्ता ने बताया कि मूंग, उड़द, चंवला व मोठ आदि खरीफ में बोई जाने वाली प्रमुख दलहनी फसलें हैं। इनका अधिक उत्पादन लेने के लिए सिफारिश अनुसार उर्वरक प्रबंधन, प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग, बीजोपचार, मृदा उपचार व खरपतवार प्रबंधन अति आवश्यक हैं। सभी दलहनी फसलों के पौधे अपनी जड़ों से जीवाणु द्वारा वायुमण्डलीय नत्रजन का स्थिरीकरण कर भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं। भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए दलहनी फसलों को फसल चक्र मेें शामिल किया जाना चाहिए। बीजोपचार व मृदा उपचार रोगों व कीटों को रोकने का सबसे सरल, सस्ता व प्रभावी तरीका हैं। बीजों को कवकनाशी, कीटनाशी व जीवाणु कल्चर व ट्राइकोडर्मा से उपर्युक्त क्रम में ही उपचारित करना चाहिए। खाद व उर्वरकों का प्रयोग मृदा जांच रिपोर्ट के आधार पर ही करना चाहिए। सदैव कृषि रसायनों को उपयोग करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहनें।
कार्यालय के कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) सुरेन्द्र सिंह ताकर ने दलहनी फसलों को जड़ गलन रोग से बचाव हेतु टा्रईकोडर्मा से मृदा उपचार की सलाह देते हुए बताया कि बुवाई से पूर्व 2.5 किग्रा टा्रईकोडर्मा को 100 किग्रा अच्छी तरह से सड़ी हुई नमी युक्त गोबर की खाद में मिला कर 15 दिन छायादार स्थान पर रखें व बुवाई के समय एक हैक्टेयर क्षेत्र में समान रुप से बिखेर कर भूमि उपचार करें।
कार्यालय के कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने किसानों को रोगों व कीटों से बचाव के लिए बीजोपचार के बारे सलाह दी। मूंग के बीजों को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम एवं 5 ग्राम थायोमैथोक्जाम प्रति किलो बीज व चंवला के बीजों को 4 ग्राम टा्रईकोडर्मा या एक ग्राम कार्बेन्डाजिम या 1.5 ग्राम टेबुकोनाजोल 2 डी.एस. से प्रति किलो बीज एवं उड़द के बीजों को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम 25 प्रतिशत+मैन्कोजेब 50 प्रतिशत डब्ल्यू.एस. से प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें।
सभी दलहनी फसलों के बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के लिए एक लीटर पानी में 125 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाए तथा घोल के ठण्डा होने पर इसमें 600 ग्राम राइजोबियम जीवाणु कल्चर मिलायें। इस मिश्रण से एक हैक्टेयर क्षेत्र में बोए जाने वाले मूंग, मोठ, उड़द व चंवला के बीज को इस प्रकार मिलायें कि सभी बीजोें पर इसकी एक समान परत चढ़ जायें। इसके पश्चात इन बीजों को छाया में सुखाकर शीघ्र बोने के काम में लेवें।
कार्यालय के कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) डॉ. कमलेश चौधरी ने मृदा जांच रिपोर्ट के अनुसार उर्वरकों के उपयोग की सलाह दी। बुवाई से पहले 32 किलो यूरिया एवं 250 किलो एसएसपी या 87 किलो डीएपी प्रति हैक्टेयर की दर से कतारों में उर कर देवें।
कार्यालय के कृषि अनुसंधान अधिकारी (शस्य) राम करण जाट के अनुसार दलहनी फसलों के अधिक उत्पादन के लिए सिफारिश अनुसार बीज दर प्रति हैक्टेयर की दर से काम में लेवें। मूंग व चंवला के लिए 15-20 किलो बीज प्रति हैक्टेयर, उड़द के लिए 12-15 किलो बीज प्रति हैक्टेयर की दर से काम में लेवें। मूंग की फसल में खरपतवारों के नियंत्रण के लिए फसल के अंकुरण से पूर्व पेन्डीमिथालीन 30 ईसी और ईमीजाथापर 2 ईसी तैयार मिश्रण का पौन किलो सक्रिय तत्व प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें एवं आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करके खरपतवार अवश्य निकालें एवं चंवला की फसल में खरपतवारों के नियंत्रण के लिए फसल के अंकुरण से पूर्व पेन्डीमिथालीन 30 ईसी पौन किलो सक्रिय तत्व प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें एवं आवश्यकतानुसार 20-25 दिन की अवस्था पर निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकालें।