सुसंस्कार ही जीवन का प्राण – उपप्रवर्तिनी डॉ. श्री राजमती जी म.सा.

अजमेर 15 जुलाई। मणिपुंज सेवा संस्कार में महाश्रमणी गुरूमाता महासती श्री पुष्पवती जी (माताजी) म.सा. के शुभ सान्निध्य में वीतराग वाणी की अमृत धारा प्रवाहित हो रही है। सूर्योदय के समय साध्वी श्री राजलक्षि जी एवं साध्वी डॉ. राजवृद्धि जी म.सा. के मुखारविन्द से भक्तामर स्तोत्र का मधुर वाचन प्रार्थना के रूप में किया जाता है एवं भक्तजन श्रद्धा भाव से इसका आनन्द लेते है।
धर्मसभा को सम्बोधित करते हए उपप्रवर्तिनी सदगुरुवर्या डॉ. श्री राजमती जी म.सा. ने फरमाया – हर व्यक्ति को तीन चीजें विरासत में मिलती हैं – शरीर, संपत्ति और संस्कार। माता-पिता शरीर और संपत्ति विरासत में दे देते हैं पर संस्कार नहीं देते तो संपत्ति देना भी व्यर्थ है। संस्कार के सद्भाव में ही शरीर और संपत्ति का सदुपयोग हो सकता है। संस्कारों के अभाव में संपत्ति मिली तो उसका उपयोग ऐसा करेगा कि संपत्ति भी बर्बाद हो जायेगी और माता-पिता के नाम पर कालिख भी पुत जायेगी। संपत्ति न देकर संस्कार दिये तो वो संपत्ति भी अर्जित कर लेगा और आपका नाम भी रोशन कर देगा। अपनी संतान को संस्कारित करने के लिए गुरू चरणों में लेकर जाएं। सभ्य, ईमानदार, चरित्रवान, गुणवान, संयमी, सदाचारी, आज्ञाकारी, सेवाभावी वही बन पाता है जो सद्संस्कारों को ग्रहण करता है। सुसंस्कार ही जीवन का प्राण व भविष्य का उत्थान है।
साध्वी डॉ. राजरश्मि जी म.सा. ने फरमाया जीवन में यदि सुखपूर्वक रहना है, जिन्दगी सुहावनी व्यतीत करनी है तो मृषावाद अर्थात् झूठ बोलने से परहेज करें। असत्य की छाया से बचकर सत्य के राही बनकर कत्र्तव्यनिष्ठ, विवेकवान, नेक इन्सान बन सकते है। सच्चे इन्सान के भीतर ही दया व करूणा की बयार बहती है और परोपकार की ओर भी कदम और मन आगे बढ़ पाता है।
साध्वी डॉ. श्री राजऋद्धि जी म.सा. ने फरमाया – इस नश्वर संसार में मां के हृदय से बड़ी कोई चीज नहीं है। यह माना जाता है कि धरती से बड़ा आकाश है, आकाश से बड़ा ब्रह्माण्ड है परन्तु ब्रह्माण्ड से भी बड़ा एक मां का दिल है। उस मां के दिल में विशालता और कोमलता इतनी होती है कि संसार के सुख उसके समक्ष फीके हैं। इसके साथ ही आज्ञाकारी पुत्र का सुख भी हर एक के भाग्य में नहीं होता।
श्रावक-श्राविकाओं द्वारा कर्म निर्जरा के लक्ष्य को ध्यान में रखकर तपस्या करने का भी पराक्रम किया जा रहा है। संघ मंत्री कैलाशचंद गैलड़ा ने तपस्यार्थियों की अनुमोदना की। अतिथियों के भोजन की व्यवस्था के लाभार्थी श्रीमान प्रकाशचंद विमला कंवर चौपड़ा परिवार की भी वात्सल्य भाव से अनुमोदना की गई।

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