अजमेर, 17 जुलाई। खरीफ सीजन में जिले में किसानो द्वारा लगभग 3.77 लाख हैक्टर क्षेत्रफल में विभिन्न फसलों की बुवाई कार्य किया जा चूका है। इसमे से मुख्य फसलें ज्वार 142368 हैक्टर, बाजरा 62159 हैक्टर, मक्का 10779 हैक्टर, मूंग 92838 हैक्टर, उड़द 28048 तिल 5105 हैक्टर, मूंगफली 2545 हैक्टर,ग्वार 16277 हैक्टर, कपास 4679 हैक्टर एवं हरा चारा 3011 हैक्टर क्षेत्र में इन फसलों की बुवाई कार्य होने के साथ-साथ फसलों की बढ़वार भी होने लगी है। वर्तमान में मौसम में नमी व बादलों के कारण फसलों में रोग एवं कीटों का प्रकोप होने की संभावना है। इसमे मुख्य रूप से कातरा कीट का प्रकोप खाद्यान्न एवं दलहनी फसलों में हो सकता है।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक श्री संजय तनेजा ने बताया कि मानसून की वर्षा होते ही कातरे के पतंगों का जमीन से निकलना शुरू हो जाता है। पतंगों को समय पर नष्ट कर दिया जाये तो फसलों में कातरे की लट के प्रकोप को कम किया जा सकता है। कातरा कीट शिशु अवस्था में पत्ती की निचली सतह को खुरेचते है। बाद में पत्तो के टूटे हुए धब्बे पतले पपीते के समान दिखाई देते है। पूरी तरह से विकसित लार्वा पुरे पत्ते, फूल और बढ़ाते फलो को खा जाते हैं।
कृषि अधिकारी श्री पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि कातरे कीट नियंत्रण के उपाय की यांत्रिक विधि में अंडों को संग्रह कर तथा लार्वा को हाथ से चुनकर एवं लाईट ट्रेप का प्रयोग करके व्यस्क पतंगों को नष्ट किया जाता है। बंजर जमीन या चारागाह में उगे जंगली पौधों अथवा खरपतवाराें से खेतों की फसलों में लट के आगमन को रोकने के लिए उनके गमन की दिशा में खाईया खोदकर इनके प्रकोप को रोका जा सकता है। इसी प्रकार रासायनिक विधि में कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर ईटीएल से अधिक होने पर रासायनिक दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है। इनकी प्रथम एवं द्वितीय अवस्था के नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करना होता है। पानी की उपलब्धता होने पर क्यूनालफॉस 25 ई.सी. 625 मिलीलीटर या क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. एक लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव कर किसान कीट के प्रकोप से फसलों को बचा सकते है।