अजमेर, 26 जुलाई। वैल्यू चेन विकास तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टीफिशल इन्टेलीजेन्स-एआई) के माध्यम से उद्यानिकी तथा कृषि के क्षेत्र में रूपान्तरण के सम्बन्ध में बैठक जिला कलक्टर श्री लोक बन्धु की अध्यक्षता में आयोजित हुर्ई। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री रामप्रकाश ने इस सम्बन्ध में विभिन्न सुझाओं तथा प्रस्तावों पर अपने विचार रखे।
जिला कलक्टर श्री लोक बन्धु ने बैठक में कहा कि कृषि के क्षेत्र में रूपान्तरण के लिए एग्रीस्टेक तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग एवं उद्यानिकी में वैल्यू और कोल्ड चेन विकासन की सम्भावनाओंं को आगे बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तथा सुझाओं के आधार का कॉन्सेप्ट नोट तैयार किया जाएगा। एग्रीस्टेक राजस्थान के किसानों के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है। यह विभिन्न सरकारी एवं निजी सेवाओं तक कृषक भी पहुंच प्रदान करेगा। यह एक प्रमाणित डेटा रहेगा। यह किसानों के लिए विभिन्न योजनाओं में फेच होगा। इससे कम समय में बेहतर सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी। डिजिटल होने से किसानों को एक साथ अनेक योजनाओं का लाभ लेने के लिए मददगार होगी।
उन्होंने कहा कि कृषि के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उद्देश्य फसल की पैदावार, संसाधन प्रबंधन और समग्र दक्षता में सुधार के लिए कृषि पद्धतियों के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता को एकीकृत करना है। कृषि क्षेत्र की विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने के लिए किसान एआई और आधुनिक तकनीकों का लाभ उठाएंगे। ये अक्सर सटीक कृषि तकनीकों और डेटा संचालित अंतर्दृष्टि पर केंद्रित होंगे।
उन्होंने कहा कि इसका मुख्य लक्ष्य किसानों की आय में वृद्धि करना है। इससे कीमती खेती करना सम्भव होगा। एआई संसाधन आवंटन जल, उर्वरक, कीटनाशक को अनुकूलित करने और पैदावार में सुधार करने के लिए मिट्टी की स्थिति, मौसम के पैटर्न और फसल स्वास्थ्य पर डेटा का विश्लेषण कर सकता है। उन्नत फसल प्रबंधन कम समय तथा लागत में किया जा सकेगा। एआई संचालित उपकरण बुवाई, कटाई और कीट नियंत्रण जैसे कार्यों पर वास्तविक समय मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं। इससे बेहतर गुणवत्ता वाली फसलें प्राप्त होंगी और नुकसान कम होगा। डेटा संचालित अंतर्दृष्टि को लाभ भी मिलेगा। एआई किसानों और शोधकर्ताओं के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए बडे डेटासेट (फसल पैदावार, मौसम पैटर्न, आदि) का विश्लेषण भी करेंगे।
उन्होंने कहा कि संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करके और अपशिष्ट को न्यूनतम करके एआई पर्यावरण की दृष्टि से अधिक टिकाऊ कृषि पद्धतियों में योगदान दे सकता है। फसल विशेष में विशिष्ट चुनौतियों का समाधान भी किया जा सकेगा। एआई का प्रयोग विभिन्न कृषि चुनौतियों पर किया जा सकता है। इनमें रोग का पता लगाना, पशुधन प्रबंधन और आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की बजट घोषणा की है। इस उत्कृष्टता केंद्र का उद्देश्य एआई और आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करके कृषि-विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करना रहेगा। यह पहल कृषि में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने और सतत् विकास को बढ़ावा देने के राजस्थान के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है। यह तकनीकी कृषि के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह अत्याधुनिक एआई प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के माध्यम से इसे अधिक कुशल, टिकाऊ और उत्पादक बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस तकनीक के उपयोग से कृषकों को बहुत लाभ होने वाला है। एआई कृषकों को मौसम अनुकूल फसलों तथा किसानों के चयन तथा फसलों के उत्पादन वृद्धि में सहायता कर सकता है। कृषि में अधिक सटीकता लाने के लिए पौधों में बीमारियों, कीटों, खरपतवारों की पहचान और पोषण की कमी आदि का पता लगाने के लिये कृषि एआई तकनीकों का उपयोग किया जाता है। एआई के कृषि उत्पादकों ऑनलाइन उपलब्धता एक विण्डो पर प्रदर्शित करवा कर बाजार में उत्पाद खरीद की संभावना को बढ़ाता है। एआई के माध्यम से कृषकों का स्किल डेवलपमेंट कर नये तरीकों से कृषि व्यवसाय को बढ़ाया जा सकता है। एआई कस्टमर के सामाजिक-आर्थिक कृषि संबंधी डाटा एकत्रित कर उनके विश्लेषण कर आवश्यकता अनुरूप सरकार को नई योजनाओं की प्लानिंग में हेल्प कर सकता है।
यह आवश्यक आदान खाद बीज उर्वरक दवाई इत्यादि के बारे में कृषकों को उपलब्धता तथा बाजार की जानकारी सूचना इत्यादि देने में सक्षम है। कृषि के विभिन्न घटकों में प्रतिदिन सैकड़ों और हजारों प्रकार के मृदा, उर्वरकों की प्रभाविकता, मौसम, कीटों या रोग से संबंधित डेटा आदि डेटा उपलब्ध होते हैं। एआई की सहायता से किसान प्रतिदिन वास्तविक समय में कई तरह के मौसम की स्थिति, तापमान, पानी के उपयोग या अपने खेत से एकत्रित मिट्टी की स्थिति आदि डाटा के विश्लेषण और समस्याओं की पहचान कर बेहतर निर्णय ले सकेंगे। कृषि सटीकता में सुधार और उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों द्वारा मौसम के पूर्वानुमान का मॉडल तैयार करने के लिए एआई का उपयोग किया जा रहा है। कृषि में अधिक सटीकता लाने के लिए पौधों में बीमारियों, कीटों, खरपतवारों की पहचान और पोषण की कमी आदि का पता लगाने के लिये कृषि एआई तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक श्री संजय तनेजा ने बैठक में बताया कि पूर्व में स्थापित आईआईटी रोपड़ के एआई केंद्र का उद्देश्य विभिन्न कृषि पहलुओं पर एआई-संचालित मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि के साथ एकीकृत करके कृषि पद्धतियों में बदलाव लाना है। परिशुद्धता कृषि के लिए एआई में आईआईटी भुवनेश्वर का एएचआरसीसीओई का केंद्र किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के साथ सहयोग करके कृषि पद्धतियों में क्रांति लाने के लिए एआई प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसी प्रकार आईआईटी-आई का एआई-संचालित उत्कृष्टता केंद्र टिकाऊ कृषि पर केंद्रित है। इसमें एआई समाधानों को लागू करने के लिए उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग और बिग डेटा एनालिटिक्स सेटअप शामिल है।
जिला कलक्टर श्री लोक बन्धु ने कहा कि फलों एवं सब्जियों के क्षेत्र में वैल्यू और कोल्ड चेन विकास, पीएचएफ, प्रसंस्करण तथा निर्यात के माध्यम से कृषकों की आय बढ़ाने में आ रही समस्याओं एवं उनके समाधान के लिए उद्यानिकी उद्यमियों, स्टेक होल्डर्स, कृषकों आदि से व्यापक विचार-विमर्श कर सुझाव प्राप्त किए जा रहे है।
उन्होंने कहा कि उद्यानिकी उत्पादों की फसल तुड़ाई उपरांत हानि को कम करने, खराब होने से बचाने, संरक्षित करने, गुणवत्ता बनाए रखने, सेल्फ लाईफ बढ़ाने, मूल्य संवर्धन के लिए प्रसंस्करण करने, कृषकों को उत्पादों का बेहतर मूल्य दिलवाकर कृषकों की आय में वृद्धि करने, उपभोक्ताओं को वर्षभर ताजा एवं पौष्टिक खाद्य उपलब्ध कराने में कोल्ड चैन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन कार्यक्रम में फार्म गेट पैक हाउस, इन्टीग्रेटेड पैक हाउस, कलेक्शन एग्रीगेशन सेन्टर, प्रि-कुलिंग यूनिट, कोल्ड रूम, विभिन्न प्रकार के भण्डारण स्ट्रक्चर, प्राथमिक तथा न्यून प्रसंस्करण इकाई, सौलर क्रॉप ड्रायर, मूल्य संवर्धन के लिए सेकंडरी प्रोसेसिंग इकाईयों की स्थापना आदि शामिल है। इसके लिए सरकार द्वारा कृषकों की पात्रता तथा ईकाई की प्रकृति के अनुसार 35 से 50 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जाता है।
बैठक में जैविक कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों को सम्मानित किया गया। इनमें हाथी पट्टा श्री नगर के श्री उगम सिंह रावत, तबीजी के श्री लक्ष्मण गेना तथा केसरपुरा के श्री शंकर सिंह रावत है। इस अवसरपर उद्यानिकी विभाग के सहायक निदेशक श्री के.पी. सिंह राजावत, परियोजना निदेशक आत्मा उषा चितारा, कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष डॉ. धर्मेन्द्र सिंह भाटी, कृषि तकनीकी केन्द्र तबीजी के उप निदेशक श्री मनोज कुमार शर्मा, अग्रणी जिला प्रबन्धक श्री संजय कुमार सिंह, उप परियोजना निदेशक श्री रामेश्वर लाल गेना, सहायक निदेशक अनुप्रिया यादव, कृषि अधिकारी श्री पुष्पेन्द्र सिंह एवं डॉ. शिवपाल चौधरी, श्री कन्हैया लाल सुनारीवाल, कृषक उत्पादक संघ के श्री के.सी. माली तथा श्री सेठू रावत सहित प्रगतिशील कृषक उपस्थित रहे।