
राष्ट्रीय समन्वयक सैन ने प्रेस वक्तव्य जारी कर बताया कि बिहार में पहले से ही एक मतदाता सूची है, जो उचित प्रक्रिया से तैयार की गई है। हम इसे आधार सूची कह सकते हैं। 24 जून 2025 को, भारत निर्वाचन आयोग ने अचानक एक नई मतदाता सूची तैयार करने का आदेश जारी कर दिया।
उन्होंने बताया कि 1 अगस्त को जारी की गई मसौदा मतदाता सूची में केवल 7.24 करोड़ मतदाता हैं, जबकि आधार-सूची में यह संख्या 7.89 करोड़ थी।
सैन ने कहा कि दसवीं कक्षा का प्रमाण पत्र, स्थायी निवास प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट आदि कई लोगों के पास इनमें से कोई भी दस्तावेज नहीं है। उनका क्या होगा आम लोग अपनी नागरिकता कैसे साबित करेंगे? एक-दो छोड़कर, चुनाव आयोग द्वारा सूचीबद्ध 11 दस्तावेजों में से कोई भी नागरिकता को साबित नहीं करता। इसके अलावा बहुत लोगों के पास इनमें से कोई भी दस्तावेज नहीं है। अंततः, प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) को पूरा अधिकार दिया गया है यह तय करने का कि वे किसी व्यक्ति के नागरिक होने से संतुष्ट हैं या नहीं। यहीं पर मनमानी का बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी ओबीसी विभाग के प्रदेश अध्यक्ष हर सहाय यादव प्रदेश महासचिव मामराज सेन अजमेर जिला अध्यक्ष सतीश वर्मा ने भी कहा कि
ये खतरे बिहार चुनाव के बाद भी कायम रहेंगे। यह विशेष गहन पुनरीक्षण पूरे देश में होना है। इस उत्पीड़न के मुख्य शिकार ओ बी सी, एस सी, एस टी और आदिवासी जो शिक्षित न होने के कारण वोट देने से वंचित रह जाएंगे ।
प्रेषक
राजेंद्र सेन
राष्ट्रीय समन्वयक
+919828750468