सिन्ध स्मृति दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी संपन्न

सिन्धु संस्कृति को जीवन्त रखने का संकल्प’ले नई पीढ़ी
अजमेर 13 अगस्त – सिंध इतिहास एवं साहित्य शोध संस्थान की ओर से सिंध स्मृति दिवस व विभाजन विभीषिका दिवस की पूर्व संध्या पर ’सिन्धु संस्कृति को जीवन्त रखने का संकल्प’ विषय पर राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की गई।
नागपुर में बनेगा सिन्धू आर्ट गैलेरी – कुकरेजा
महाराष्ट्र के नागपुर में सिन्धू आर्ट गैलेरी का शीघ्र निर्माण होगा जिसे युवा पीढी के लिये सिन्धु संस्कृति का ज्ञान केन्द्र स्थापित होगा। मुख्यमंत्री के अथक प्रयासों से यह साकार हो रहा है यह विचार राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष घनश्याम कुकरेजा ने सिंध स्मृति दिवस दिवस की पूर्व संध्या पर सिन्धु संस्कृति को जीवन रखने का संकल्प पर आयोजित संगोष्ठी में प्रकट किये।
उन्होने कहा कि लगभग 5 एकड में तैयार होने वाले सिन्धु आर्ट गैलेरी में 125 करोड से अधिक व्यय होकर गैलेरी बनेगी जिसमें आर्ट व कल्चर गतिविधियों के साथ म्यूजिम, कक्षा रूप, वर्कशॉप स्थान, मिनी थियेटर, काफ्रेंस हॉल, योग केन्द्र व अन्य गतिविधियों का विशाल स्वरूप बनेगा जिससे युवा पीढी को अध्ययन में जुडाव होगा। उन्होने नागपुर में समाज के बच्चों को प्रशासनिक पदों की तैयारी के लिये उदय अकादमी की भी स्थापना की गई है जहां पर देशभर से बच्चें अध्ययन कर रहे हैं और अलग अलग शिक्षाविद् व भाषाविद् अध्यापन करवा रहे हैं जिसके लिये समुचित व्यवस्था अकादमी की ओर से की जा रही है। सिन्ध के गौरवमयी इतिहास को ध्यान में रखते हुये युवाओं को आज उसे जीवन्त रखने का संकल्प लेकर आगे बढाना चाहिये।
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ. अरविंद पारीक ने कहा कि भारत की सभ्यता पल्लवी हुई व सिंध है, मनुष्य ने सिंध में सभ्य होना सीखा, सिंध के बिना, हिन्द की परिकल्पना सम्पूर्ण नहीं है, अखण्ड भारत का व सिंधु संस्कृति को जीवंत रखने का संकल्प नई पीढ़ी को लेना चाहिए।
भारतीय सिन्धू सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि आजादी मिली उसकी प्रसन्नता है परन्तु अखण्ड भारत में से सिन्ध अलग हो गया। भारत माता की भुजा कट गई। सिन्ध मिलकर अखण्ड भारत बनने का संकल्प लेने का दिवस है 14 अगस्त विभाजन के समय लाखों लोगो ने जान गवांई, 3 करोड से अधिक लोेग बेघर हुए। 10 से 12 लाख बलिदान हुए, 4 से 5 लाख महिलायें थी। आत्मबलिदान हुई जो अपनी इज्जत व धर्म रक्षा के लिये विष पिये या कुअें में कूद गई और आत्म गौरव की रक्षा की। हमारी खोई हुई भूमि। संस्कृति और आत्मा को पुनः प्राप्त करने का संकल्प है।
सिंधी सेन्ट्रल पंचायत के महासचिव गिरधर तेजवानी ने कहा कि सिंधु संस्कृति व सभ्यता सबसे पुरानी है ऐसा ग्रंथों से मिली जानकारी के अनुसार मोहन जोदड़ो व अन्य विरासतें उसका प्रमाण नई पीढ़ी को सिंधु संस्कृति को जीवंत रखने के लिए अध्ययन करना चाहिए व हमारे महापुरूषों से सीख लेकर भविष्य की राह को चुनना चाहिए।
अध्यक्ष कवंल प्रकाश किशनानी अपने विचार रखाते हुए कहा कि 14 अगस्त की वह काली रात कभी न भूलने वाली एक तरफ तो देश आजादी का जश्न मना रहा था, दूसरी ओेर हमारे पूर्वजों अपना सब कुछ जमीन जायदाद आदि छोड़कर आगजनी व पलायन की स्थिति में थे, कहां जाना था किसी का ना मालूम था, बैलगाडी, पैदल व रेलगाड़ी माध्यमों से खुद के ही देश मंे शरणार्थी हो गये, अब संवभलम्बी होकर नवीन भारत को आगे बढ़ाने में प्रत्येक क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे है। कार्यक्रम का संचालन हरी चंदानी ने किया।
हरी चंदनानी,
      मो.9649750811

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