
उन्होंने बताया कि हाल ही में एक उपभोक्ता के सोलर सिस्टम से दो माह में 2626 यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ, जिसमें से 828 यूनिट ही विभाग को निर्यात की गई, लेकिन बिल में विभाग ने दर्शाया कि उपभोक्ता ने 3100 अतिरिक्त यूनिट विभाग से ली हैं। यह गंभीर विसंगति इस बात का प्रमाण है कि विभाग उपभोक्ताओं की उत्पादित बिजली का सही हिसाब नहीं रख रहा है और मनमानी बिलिंग से उन्हें आर्थिक बोझ झेलना पड़ रहा है।
गंगवाल व अग्रवाल ने कहा कि जब केंद्र और राज्य सरकारें सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां लागू कर रही हैं, तब टाटा पावर की लापरवाही उपभोक्ताओं को लाभ से वंचित कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तत्काल समाधान नहीं किया गया और गलत बिलों का संशोधन नहीं हुआ तो यह मामला राज्य विद्युत विनियामक आयोग, उपभोक्ता फोरम और उच्च न्यायालय तक ले जाया जाएगा। यह केवल तकनीकी लापरवाही नहीं बल्कि उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन और सरकार की ग्रीन एनर्जी नीति के साथ छल है।
सीए विकास अग्रवाल
प्रदेश महामंत्री, सीए प्रकोष्ठ
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