अजमेर। दरगाह जियारत करने आये जायरीनों के साथ गांधी भवन के पास पुलिस द्वारा की गई मारपीट और बदसलूकी को कांग्रेसी नेताओं ने चैथ वसूली से जुडा हुआ मामला बताते हुए कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक से निष्पक्ष जांच करवाकर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ ठोस कार्यवाही की मांग की।
कांग्रेस से जुड़े नेताओं के एक शिष्टमंडल ने बुधवार को कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक रामदेव सिंह से मुलाकात कर बताया कि मंगलवार को दिल्ली से दरगाह जियारत करने आये जायरीन परिवार के साथ पुलिस ने जिस प्रकार का व्यवहार किया वह चिंताजनक और अजमेर के पर्यटन महत्व के लिये बदनुमा दाग है। पुलिस ने न सिर्फ जायरीनो के साथ सरेआम मारपीट की, महिलाओं के साथ बदसलूकी की बल्कि अपना दामन पाक साफ दिखाने के उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए सम्पूर्ण जायरीन परिवार को शांति भंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया ताकि इस दबाव में जायरीन पुलिस के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करे। शिष्ट मंडल ने पुलिस अधीक्षक को बताया कि मंगलवार को जायरीनों की कार को नो-पार्किंग जोन में बताया गया है जबकि पुलिसकर्मियों का स्वयं का यह कहना है कि महिला जायरीन ने बताया था कि अन्य लोग शौचालय में गये हुए हैं जिससे स्पष्ट है कि शौचालय के पास एवं गांधी भवन के बाईं ओर पार्किंग जोन है जहां गाडियां खडी की जा सकती है परन्तु पुलिस दीवान धनसिंह रावत द्वारा अवैध चैथ वसूली के इरादे से जायरीनों को परेशान किया गया, गाली-गलौच मारपीट तक की गई जो स्थानीय न्यूज चैनलों पर साफ देखा गया। ज्ञापन में बताया गया कि विवाद बढ़ने पर पुलिसकर्मी धनसिंह, अनिल सिंह व सिपाही जसवन्त सिंह ने जायरीनो के साथ बेरहमी से मारपीट की और उन्हें यातायात पुलिस दफ्तर ले गये। जहां अपनी नाकामी को छुपाने के लिये सम्पूर्ण जायरीन परिवार की एक न सुनते हुए उन्हें शांति भंग करने के आरोप में बंद कर दिया जबकि जायरीन परिवार अपनी ओर से भी मुकदमा दर्ज कराना चाहते थे, उसके बावजूद थानाधिकारी द्वारा इस पर कोई कार्यवाही न करते हुये अपने विभाग के पुलिसकर्मियों का सहयोग कर जायरीनो पर झूठा मुकदमा बना दिया गया।
पुलिस अधीक्षक को सौंपे ज्ञापन में बताया गया कि यातायात पुलिस अजमेर के निशाने पर राजस्थान से बाहर से आने वाले वाहन रहते हैं जिन्हें देखते ही उनसे नाजायज वसूली की जाती है जबकि शहर भर में चल रहे अवैध वाहनों व मदार गेट क्षेत्र में नो-पार्किंग जोन में खड़ी होने वाली गाडियों पर यातायात विभाग की नजर नहीं जाती है। पुलिस अधीक्षक को बताया गया कि दीवान धन्नासिंह रावत का आचरण प्रारम्भ से ही संदिग्ध रहा है वह शहर के कई थानों में नियुक्त रहते हुए अपने कारनामों की बदौलत लाईन हाजिर व विभागीय दंड से दंडित किया जा चुका है। कांग्रेसियों ने पुलिस अधीक्षक से मांग की कि गांधी भवन पर घटित घटना और यातायात पुलिस द्वारा शहर भर से की जा रही अवैध वसूली की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषी पुलिसकर्मी धनसिंह रावत, सिपाही अनिल सिंह व जसवन्त सिंह के विरूद्ध ठोस कार्यवाही अमल में लाई जाये चूंकि मामला पूरी तरह से चैथ वसूली से जुड़ा हुआ है अतः जांच चलने तक सभी कार्मिकों को फील्ड पोस्ट से हटाया जाये। शिष्टमंडल ने पुलिस अधीक्षक से कहा कि यदि शीघ्र अतिशीघ्र जांच करवा कार्यवाही नहीं की गई तो न्याय हित में आंदोलनात्मक कार्यवाही की जायेगी। प्रतिनिधि मंडल में कुलदीप कपूर, गुलाम मुश्तफा, नौरत गुर्जर, मुजफ्फर भारती, सर्वेश पारीक, सैयद मंसूर अली, सुमित मित्तल, भरत ओझा, मेहूल गर्ग आदि शामिल थे।