अजमेर। शहर की आनासागर व फॉयसागर झील में वर्षा के पानी लाने वाले जलमार्गों एवं स्त्रोतों की सफाई और अवरोधों को हटाने की कार्यवाही सुनिश्चित होनी चाहिए, जिससे अजमेर की ऐतिहासिक इन झीलों का सौंदर्य बना रहे और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित व संरक्षित हो सकें।
यह विचार आज राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा अजमेर की आनासागर व फॉयसागर झील के संरक्षण के लिए नियुक्त निगरानी समिति के सलाहकार सदस्य श्री वीरेन्द्र डांगी व एडवोकेट अशोक भारद्वाज ने झीलों का जायजा लेते समय व्यक्त किये। समिति ने आनासागर सरक्यूलर रोड झील क्षेत्र का जायजा लेते हुए 12 करोड़ की लागत से बन रहे आनासागर सेनीटेशन ट्रीटमेंट प्लांट का जायजा लिया और कार्य की गति को बढ़ाने के लिए एन्वायरो इन्फा सिविल वर्क के महाप्रबंधक बलवीर सिंह को स्पष्ट कर दिया कि आगामी जून तक कार्य पूरा हो जाये अन्यथा इसकी जिम्मेदारी उनकी होगी।
समिति ने पाया कि आनासागर में आने वाले जलमार्गों, नालों, जल स्त्रोतों में बाड़ी नदी के मार्ग में आर. के. पुरम कॉलोनी बस जाने, अप्सरा मैंशन से सड़क की ओर झील में जाने वाले समूचे नाले के मार्ग पर अतिक्रमण हुए हैं इन सभी का परिणाम यह हुआ है कि इन की चौड़ाई और गहराई कहीं ज्यादा कहीं कम और कई जगह मिट्टी भरकर पाट देने से खत्म हो गई है और आनासागर में पानी के आने के मार्ग लगभग बंद से होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में राजस्व रिकार्ड, मास्टर प्लान के मुताबिक स्थिति को स्पष्ट करने, वर्तमान में मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तार से रिपोर्ट प्रस्तुत करने और इसमें झील के संरक्षण के लिए क्या किया जा सकता है ? सुझाव प्रस्तुत करने को नगर निगम व नगर सुधार न्यास के अधिकारियों को कहा।
समिति ने बड़ी नागफणी के नाले का अवलोकन किया और राजस्व रिकार्ड की स्थिति का अवलोकन कर स्थिति सुनिश्चित करने को कहा। शांतिपुरा नाले की स्थिति का भी जायजा लिया। गौरवपथ पर बन रहे जी मॉल और अधूरी सड़क को पूरा करने के लिए भी कार्यवाही करने को कहा गया। निगरानी समिति के सलाहकार एडवोकेट अशोक भारद्वाज एवं वीरेन्द्र डांगी ने कहा कि ऐसे मामले जिनमें न्यायालय से स्टे लिया हुआ है उनके स्टे को खारिज कराने की कार्यवाही कर ऐसे प्रकरणों को उच्चतम न्यायालय के ध्यान में लाया जाए। सदस्यों ने फॉयसागर झील का पाल पर जाकर अवलोकन किया मौके पर नक्शे का मुआयना कर झील में वर्षा के पानी के आगमन मार्गों को अच्छा पाया और संतोष व्यक्त किया। उन्होंने यहां एक मात्र ईंट के भट्टे के अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही करने को भी कहा।
जिला कलक्टर वैभव गालरिया ने समिति के अधिकारियों को आनासागर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से झील के पानी को दुर्गंध से मुक्त रखने, नालों के पानी को बैक्टीरिया से ट्रीट कर पॉलिथीन व अन्य कचरे को झील में पानी के साथ नहीं जाने देने के लिए किये जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि प्लांट बन जाने पर यह झील और अधिक सौंदर्यमय हो जायेगी।
समिति ने जायजा लेने के बाद सर्किट हाउस में जिला कलक्टर वैभव गालरिया, अतिरिक्त जिला कलक्टर जी.एस.राठौड़, मुख्य कार्यकारी अधिकारी नगर निगम श्रीमती विनीता श्रीवास्तव, आयुक्त बजरंग सिंह चौहान, विधि अधिकारी एच.एस.झाखड़, जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता आर.एल.माथुर, नगर सुधार न्यास, नगर निगम, सार्वजनिक निर्माण विभाग, खान विभाग, जल संसाधन विभाग के अधिशाषी अभियंता बी.अग्निहोत्री, अरविन्द शर्मा, ए.के.गुप्ता, बी.एस.सोढा, पी.के.मौर्य व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक ली और राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना करने के लिए नागरिकों से आपसी समझाइश, वार्तालाप से समस्याओं को निस्तारण करने को कहा। आनासागर झील को दुर्गंधहीन बनाने के लिए जिला प्रशासन को कार्यवाही करने को कहा गया। राजस्थान उच्च न्यायालय की मंशा के अनुरूप नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित करने की कार्यवाही करने के लिए आवश्यक कदम उठाने और रिमोट सेंसिंग की बात भी कही गई। समिति ने सर्किट हाउस में पार्षद नीरज जैन व अन्य जनप्रतिनिधियों एवं नागरिकों को भी सुना और आवेदन पत्र प्राप्त किये। इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलक्टर जे.के.पुरोहित, नगर सुधार न्यास के सचिव के.सी.वर्मा, तहसीलदार मनमोहन मीना सहित अन्य विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे।