राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति ने दिया धरना

RAJATHAN SHIKSHAK SANGH PRATIYOGITA GYAPAN 02अजमेर। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के बैनर तले गुरूवार को जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर धरना देकर गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर संवैधानिक मान्यता दिलवाने की पुरजोर मांग की गई। समिति के संभाग पाटवी नवीन सोगानी और सम्मानित साहित्यकार डॉ. सीपी देवल ने बताया कि आज संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा घोषित मातृभाषा दिवस पर राजस्थान के निवासी केन्द्र सरकार से मांग करते हैं कि हमारी मातृभाषा राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा जाए। इस भाषा के लोगों की संख्या दुनिया में लगभग 10 करोड़ है। आजादी के 65 साल बाद राजनैतिक उदासीनता और दोहरी नीतियों के कारण राजस्थानी भाषा संवैधानिक मान्यता को तरस रही है। भाषाई मापदंड पर विश्व की 25वीं और देश की तीसरी समृद्ध भाषा में आने वाली राजस्थानी भाषा  को अमरीका में अमरिकी सरकार ने प्राथमिकता से नौकरी देने का निर्णय लिया है। नोबल पुरस्कार के लिए राजस्थान के विश्वविख्यात प्रसिद्ध कथाकार विजय दान देथा का नाम प्रस्तावित हुआ। वहीं विश्व की 19 श्रेष्ठ फिल्मों में राजस्थानी भाषा की नई फिल्म ‘‘भोभर’’ विश्व स्तर पर स्वीकारी गयी। ऐसे में राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता देने में हो रही देरी राजस्थानी भाषाई लोगों का अपमान है। गृहमंत्री से इसी बजट सत्र में राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराकर दुनिया भर के दस करोड़ राजस्थानीयों को उनका सम्मान दिलाने की मांग की गई। अनेक पदाधिकारी मौजूद थे।
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