अजमेर। पुलिस थानों से मंथली वसूले जाने के आरोप में दो महिने पहले गिरफ्तार किये गए अजमेर के निलंबित एसपी राजेश मीणा और उनके दलाल रामदेव ठठेरा को शनिवार को न्यायिक अवधि समाप्त होने के बाद जयपुर एसीबी टीम ने अजमेर में एसीबी की विशेष कोर्ट में पेश किया। जहां से कोर्ट ने एक बार फिर दोनो को 7 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मामले पर अगली सुनवाई के लिए 7 मार्च की तारीख तय की गई है।
एसीबी ने शनिवार को राजेश मीणा रामदेव ठठेरा सहित दो महीनों से फरार चल रहे एडिशनल एसपी लोकेश सोनवाल सहित 12 थाना प्रभारीयों के खिलाफ तीन अलग अलग चार्जशीट पेश की। लगभग पांच हजार पन्नों से भी ज्यादा की इस चार्जशीट में सभी पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जिनमें थाना अधिकारियों द्वारा मोटी रकम लेकर बड़े मामलों का निपटारा करना और उन पैसों की मिलकर बंदरबाट करने के सबूत पेश किये गए हैं। फिलहाल बचाव पक्ष के वकील एसीबी के इतिहास में अब तक की सबसे मोटी और बड़ी चार्जशीट का अध्ययन करने में जुटे हैं।
एक और जहाँ बचाव पक्ष के वकील एंटी करप्शन पर मामले को उलझाने के आरोप लगा रहे हैं वहीं दूसरी और एसीबी के एडिशनल एसपी अर्जुन सिंह राजपुरोहित का कहना है कि आरोपी एसपी के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी है। वही एसीबी टीम के अधिकारी के दिए गए बयान से अब ऐसा लगने लगा है कि शायद एसीबी टीम की इस मामले को लेकर इच्छाशक्ति कम होती जा रही है। यही वजह है कि जब फरार एडिशनल एसपी सोनवाल की गिरफ्तारी के बारे में एसीबी के द्वारा अब तक किये गए प्रयासों के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि हम तो तलाश कर रहे हैं और मिडिया भी उनको तलाशने, में एसीबी की मदद करे।
फिलहाल वसूली मामले में निलम्बित किये गए एसपी राजेश मीणा पिछले दो महीनो से जेल की सलाखो के पीछे रह कर अपनी रिहाई का इन्तजार कर रहे है, वही दूसरी और एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम को ना सिर्फ फरार एडिशनल एसपी की तलाश है बल्कि मामले में नामजद आरोपी बनाए गए शहर के 12 थाना अधिकारियों के खिलाफ भी पुख्ता सबूत जुटाकर उन्हें बेनकाब करने की बड़ी जिम्मेदारी बाकी है।