अजमेर। झूला मोहल्ला स्थित निर्मलधाम दरबार में चल रहे सतगुरूदेव निर्मलदास जी के 68वें वार्षिक महोत्सव के दौरान शनिवार शाम नाम स्मरण और स्वामी आतम दास जी के द्वारा रूहानी संत्सग सुनाया जिसमें बताया कि जो प्रभु के प्यारे होते है प्रभु खुश होकर उनका किसी ना किसी संत ने नाता जोड देते है जिससे वह प्राणी भवसागर रूपी संसार से तर जाता है। इसके बाद इन्दौर से आये दीपक उदासी एंड पार्टी ने भजनो की सरिता बहाई। बताया गया कि बंसत आती है तो प्रकृति मुस्कराती है और संत आते हैं तो संस्कृति मुस्कराती है। रविवार को महाशिवरात्री पर्व पर दुग्धा अभिषेक के साथ महोत्सव की समाप्ति हुई।