अजमेर। को जवाहर रंगमंच पर कला अंकुर संस्था द्वारा शाम 7.00 बजे भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं राजस्थानी लोक संगीत पर आधारित फ्युज़न कहरवा की अनूठी प्रस्तुति होगी। संस्था के संरंक्षक कमलेन्द्र झा ने बताया कि इस संगीतमय फ्युज़न की परिकल्पना एवं निर्देशन प्रदेश के वरिष्ठ एवं जाने माने तबला वादक डॉ. विजय सिद्ध ने किया है। देश के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा प्रस्तुत कहरवा फ्यूजन कहरवा ताल पर आधारित है। इसके अन्तर्गत सर्वाधिक प्रचलित ताल कहरवा पर आधारित सोलो कहरवा, राग देस पर आधारित देस कहरवा, प्रसिद्ध मांड केसरिया बालम पर आधारित मांड कहरवा, प्रसिद्ध लोक गीत हिचकी पर आधारित लोक कहरवा, बुल्लेशाह के कलाम पर आधारित जोग कहरवा, विभिन्न ताल वाद्यों द्वारा प्रस्तुत सबरंग कहरवा, सारंग कहरवा, प्रसिद्ध लोक भजन रूणी चेरा धणियां पर आधारित भक्ति कहरवा, मशहूर सूफी रचना छाप तिलक सब छीनी एवं राग यमन पर आधारित रचना सूफी कहरवा, बिरज में कैसे होली खेलूँगी सांवरिया तोरे संग पर आधारित होली कहरवा आदि रचनायें प्रस्तुत की जायेंगी। इसमें प्रसिद्ध तबला वादक डॉ. विजय सिद्ध, विख्यात गायक उस्ताद बून्दू खां लंगा, डा. विजयेन्द्र गौतम, सितार वादक, पं. हरिहरशरण भट्ट, ड्रम वादक योगेश शर्मा, मोरचंग एवं भपंग वादक रईस खां, सहित एक दर्जन कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
राजस्थान के तबला विषय में प्रथम व एकमात्र पी. एच. डी. की उपाधि प्राप्त डॉ. विजय सिद्ध का मानना है कि दुनिया में सबसे पहले कहरवा ताल की ही उत्पत्ति हुई है और आज के युग में भी कहरवा ताल विश्व संगीत में सर्वाधिक प्रचलित है। इसकी चंचल प्रकृति बरबस थिरकने को मजबूर कर देने वाली है। इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए कहरवा फ्यूज़न के माध्यम से शास्त्रीय संगीत को सरलीकृत कर उसे लोकानुरंजक बनाने का एक सफल प्रयास है।