अजमेर उत्तर विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने आज राजस्थान विधान सभा में केकड़ी तहसील के सावर क्षेत्र में स्थित एक मार्बल की अवैध खान को निरस्त किये जाने की मांग की। देवनानी ने आज यह मामला सदन में तब उठाया जब विभाग के मंत्री अनुदान मांगो पर जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार के मुख्य सचेतक रघु शर्मा के निजी सहायक की पत्नि के नाम आवंटित उक्त मार्बल खान को बचाने के लिए वहां निर्माणाधीन सावर से चितीवास गांव तक की सड़क के मार्ग को बदला जा रहा है जिसके विरोध में क्षेत्रवासी व मार्बल व्यवसायी पिछले कई दिनों से आन्दोलनरत है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार के मुख्य सचेतक के दबाव में उक्त खान को बचाने के लिए सरकारी रेकार्ड में हेराफेरी कर सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा सड़क का मार्ग बदला जा रहा है ।
रोज नहीं मिल रहा है विद्यार्थियों को मि डे मिल
प्रदेष में सरकार की योजना के बावजूद विद्यार्थियों को रोजाना मिड डे मिल नहीं मिल पा रहा है। अजमेर उत्तर विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी द्वारा पूछे गये एक विधान सभा प्रष्न का जो जवाब सरकार ने दिया है उससे यह जानकारी निकल कर आई है। देवनानी ने बताया कि उन्होंने प्रष्न के माध्यम से सरकारी व सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में मिड डे मिल से लाभान्वित होने वाले विद्यार्थियों तथा इस कार्यक्रम के तहत जिलेवार आवंटित एवं उठाये गये गेहूं व चावल आदि के सम्बंध सरकार से जानकारी चाही थी । सरकार द्वारा दिये गये जवाब के अनुसार अजमेर शहरी क्षेत्र की सरकारी विद्यालयों में नामांकित 19017 तथा लाभान्वित 2892894 बच्चें बताये गये है जिसके अनुसार एक बच्चें को 152 दिन मिड डे मिल दिया गया जबकि अजमेर के ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों में 143870 नामांकित बच्चे व 16200589 लाभान्वित बच्चे बताये गये है जिसके अनुसार एक बच्चे को 112 दिन मिड डे मिल से लाभान्वित किया गया । इसी प्रकार अजमेर के शहरी क्षेत्र के सहायता प्राप्त विद्यालयों में 3318 नामांकित बच्चे व 347168 बच्चे लाभान्वित बताये गये है जिसके अनुसार 103 दिन ही बच्चे मिड डे मिल योजना से लाभान्वित हुए है।
विधानसभा में फिर गूंजा बोर्ड एफ.ए. तंवर का मामला
अजमेर उत्तर विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने राजस्थान विधान सभा में स्थगन प्रस्ताव लगाकर बोर्ड के वित्तीय सलाहकार नरेन्द्र तंवर द्वारा की गयी गंभीर अनियमितताओं तथा बोर्ड के करोड़ो रूपये की राषि खुर्दबुर्द करने का मामला उठाते हुए सरकार से इस सम्बंध में तत्काल हस्तक्षेप कर तुरन्त नया एफ.ए. लगाने की मांग की जिससे वर्तमान में चल रही बोर्ड परिक्षाऐं तथा बोर्ड की अन्य नियमित व्यवस्थाओं, कर्मचारियों के वेतन चुकारे आदि पर कोई संकट उत्पन्न ना हो पाऐ। उन्होंने सरकार से यह भी मांग की कि तंवर की समस्त चल-अचल सम्पति की जांच करायी जाऐं जो कि उसने बोर्ड की राषि से अर्जिक की है साथ ही इस सम्बंध में पूर्व बोर्ड अध्यक्ष गर्ग की भूमिका की भी जांच करायी जाऐ। उन्होंने कहा कि देष में राजस्थान बोर्ड को षिक्षा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त है परन्तु ऐसे कारनामों के कारण हमारे बोर्ड की छवि धूमिल हुई है। देवनानी ने सदन में तंवर द्वारा की गयी गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का मामला उठाते हुए कहा कि बोर्ड के खाते में तथा बोर्ड की एफ.डी.आर. में जो राषि जमा है वह विद्यार्थियों से परीक्षा शुल्क के रूप में तथा निजी षिक्षण संस्थाओं से मान्यता शुल्क के नाम पर वसूली गयी राषि है। उन्होंन कहा कि बोर्ड की 2 एफडीआर तुड़वाकर तंवर द्वारा अपने व्यक्तिगत खातें में जमा करवाना अत्यन्त गंभीर मामला है क्योंकि एफडीआर बोर्ड के सचिव के नाम बनाई गई थी जो कि बिना उनकी सहमति के तुड़वाना सम्भव नहीं था। इसके अतिरिक्त तंवर द्वारा पिछले डेढ़ साल से वेतन की राषि नहीं उठाया जाना तथा उसके जयपुर व अजमेर में स्थित 3 बंगले, ग्रामीण क्षेत्र में 12 बीघा जमीन व जयपुर के एक मॉल में साझेदारी की जो जानकारी सामने आयी है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि तंवर को उच्च स्तरीय संरक्षण प्राप्त था।
देवनानी ने राजस्थान बोर्ड में गत चार वर्षो में विभिन्न स्तर पर हुई अनियमितताओं की ओर भी सदन का ध्यानाकर्षण करते हुए कहा कि टेट परीक्षा के आयोजन में भी प्रष्न पत्र छापने वाली फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए 96 पृष्ठों की बुकलेट छपवायी गयी थी जबकि अलग-अलग भाषा के अभ्यर्थियों हेतु अलग-अलग प्रष्न पत्र छपवाये जाते तो बुकलेट इतने बड़े आकार की नहीं बनती तथा बोर्ड द्वारा इसकी छपाई पर किया गया खर्चा कम हो सकता था। उन्होंने टेट परीक्षा आयोजन के दौरान विडियोग्राफी के कार्य व गाडियों की व्यवस्था में भी बोर्ड सदस्यों व परीक्षा आयोजन समिति के सदस्यों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष सुभाष गर्ग द्वारा 2011 में जयपुर की एक प्रकाषन फर्म को ब्लेक लिस्टेड करने के बाद 21 दिन में ही आदेष को पलट दिया गया था जिसमें उनकी साफ-साफ मिलीभगत दिखाई देती है। इसी प्रकार चाहे फर्नीचर खरीद का मामला हो चाहे बोर्ड की रद्दी बेचने का मामला सबमें मिलीभगत व अनियमितताऐं हुई है। देवनानी ने बोर्ड द्वारा गत चार वर्षो में कराये गये अंधाधुंध भवन निर्माण के पिछे भी पूर्व बोर्ड अध्यक्ष की मंषा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जयपुर में जब षिक्षा संकुल का निर्माण हुआ था तब बोर्ड ने 50 लाख का अंषदान देकर अपने लिए भवन आरक्षित किया था तो फिरसे वहां नया भवन बनाये जाने की आवष्यकता क्यों हुई । इसके अतिरिक्त अजमेर में भी अनावष्यक भवन निर्माण कराये जाने के पिछे बोर्ड अध्यक्ष गर्ग की निर्माण कार्यो की आड़ में आर्थिक लाभ कमाने की मंषा प्रकट होती है।
देवनानी ने यह भी कहा कि बोर्ड के खातों में करोड़ो रूपये की सम्पति होने के बावजूद भी तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष सुभाष गर्ग द्वारा बोर्ड द्वारा प्रदत्त किये जाने वाले विभिन्न दस्तावेजों के शुल्क बढ़ाये गये। मान्यता के नाम पर निजी षिक्षण संस्थाओं पर अव्यवहारिक नियमबंधन लागू कर मनमाने शुल्क वसूले गये। टेट परिक्षाओं के लिए बेरोजगार अभ्यर्थियों से परीक्षा शुल्क के रूप में बड़ी राषि वसूल की गयी जबकि परीक्षा आयोजन की विभिन्न व्यवस्थाओं पर व्यय करने के बाद बोर्ड के पास इस मद में बड़ी राषि बची है।