अजमेर। बुधवार को शीतला सप्तमी परंपरा के अनुसार मनाई गई। सुभाष उद्यान के सामने शीतला माता मंदिर पर आधी रात को लोढ़ा परिवार ने पहली पूजा की इसके बाद मंदिर में महिला श्रद्धालुओं की भीड उमड पडी, जो बुधवार दिन तक जारी रही। हर साल की तरह शहर का मुख्य शीतला मेला दौलत बाग के सामने भरा। जिसमें शहरी और ग्रामीण अंचलो से आये हजारो श्रद्धालुओं ने भाग लिया। हिन्दू मान्यता के अनुसार होली के बाद आने वाली सप्तमी को शीतला सप्तमी के रूप में मनाया जाता है इस दिन लोग घरो में व्यंजन जैसे हलवा, पूडी, राबडी, पूए, पापडी, पोल्या, दही गुंजिया बनाते है और माता शीतला के अर्पण कर घर परिवार के लोग ठंडा भोजन करते है। परंपरा के अनुसार पहला भोग रात 12 बजे लोढा परिवार द्वारा लगाया जाता है। इसके बाद श्रृद्धालुओं ने माता को ठंडा भोजन समर्पित कर ढोक लगाई। मान्यता है कि शीतला माता के परिवार सहित ढोक देने से घर में बिमारियों का प्रकोप नही होता।
वहीं गुर्जर समाज की ओर से शीतला सप्तमी के अवसर पर पहली जैलों की शोभायात्रा निकाली जाती है। मान्यता के मुताबिक शिव पार्वती का पुजन और गणगौर का पुजन इसी दिन से शुरू हो जाता है जो गणगौर तक जारी रहता है।
मेला स्थल पर अस्थाई खेल-खिलौनो, चाट-पकौडी और विभिन्न तरह के व्यंजनो की दुकाने सजी हुई थी जिन पर मेलार्थी चटखारे लगा रहे थे वहीं ग्रामीण अंचलो से आये बच्चे और युवतियां मिट्टी के खिलौने खरीद रहे थे तो कोई तीर कमान, तलवार और गदा। समय के साथ-साथ मेले में सजने वाली दुकानो में भी बदलाव आया है। मेले में चाईनीज आईटम भी खूब बिके।
