दरगाह दीवान ने की सरबजीत पर हमले की निंदा

dargaah deevan 6अजमेर । सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के वंशज ओर दरगाह के सज्जादनशीन एवं मुस्लिम धर्म प्रमुख दरगाह दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान ने पाकिस्तान के लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह पर जान लेवा हमला किये जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुऐ कहा कि सरबजीत पर कैदियों द्वारा जानलेवा हमले में साजिश की बू आ रही है। इस हमले के पीछे आई.एस.आई. का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। उन्होने इस गैर शरअी कारनामें पर पाकिस्तान के उलेमाओं की चुप्पी पर हैरानी व्यक्त करते हुऐ कहा कि ऐसे मसलों पर उनकी खामोशी यह इशारा कर रही है कि पाकिसतान में मजहबी आजादी भी नहीं है और शरअी मसलों पर उलेमाओं का हुकूमत के खिलाफ बोलना गैर कानूनी है।
दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुऐ इस कृत्य को इस्लाम के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुऐ पाक हुक्मरानों से पुछा कि अगर पाकिस्तान इस्लामी जम्हुरियत होने का दावा करता है तो जवाब दे कि क्या इस्लाम इस तरह कि क्रुरतापूर्ण हरकत कि इजाजत देता है ? इस्लामी जम्हूरियत होने के बावजूद पाकिस्तान धर्म के बुनियादी उसूलों और पैगम्बर मोहम्मद के उपदेषों से भटककर कैसा इस्लाम दुनिया के सामने पेष करना चाहता है। उन्होने कहा कि इस्लाम एक अमन पसंद दीन और अदलओ इंसाफ पसंद मजहब है इस लिये इसमें ऐसा सिखाया गया है कोई मुसलमान भी किसी गैर मुस्लिम पर जुल्म नहीं कर सकता। अल्लाह के नबी हजरत मोहम्मद (स.अ.व.) फरमाते है कि “ मज़लूम की बददुआ से बच चाहे वो गैर मुस्लिम ही क्यों न हो इसलिये कि उसके और अल्लाह के बीच कोई हिजाब (पर्दा) नहीं है उसकी दुआ अल्लाह के यहां पहुच कर रहती है अल्लाह उसकी दुआ को भी कुबूल करता है ” तो फिर एक गैर मुस्लिम पर एक मुसलमान जुल्म करे और वो अल्लाह को पुकारे तो अल्लाह ताआला उस गेर मुस्लिम की दुआ पर मुसलमान को सजा देगा क्योंकि अल्लाह सारे आलम का रब है।
मुस्लिम धर्म गुरू ने भारत सरकार से अधिकारिक ऐतराज दर्ज करवाने की मांग करते हुऐ कहा कि अब पाक को सख्त चेतावनी देकर पाक व अमरीका जैसे देषों के लिऐ अपनी विदेष नीति पर पुर्नविचार करके मौजूदा परिस्थतियों के अनुरूप उसमें बदलाव करना चाहिये । उन्होने धर्म प्रमुख की हैसियत से पाक हुक्मरानों को हिदायत दी कि पाक को इस प्रकार की हरकतों से बाज आना चाहिये ताकि दुसरे मुल्को में रह रहे अल्पसंख्यक सुकून से रह सकें।
उन्होने तल्ख अलफाजों में कहा कि पाकिस्तानी व्यवस्था आतंकियों के कब्जे में है। पाक सरकार आतंकियों के रहमो-करम पर चलती है। इस लिये इसमे शक की गुंजाईष कम ही है कि सरबजीत पर कैदियों द्वारा जानलेवा हमले में पाक खुफिया ऐजेन्सी आई.एस.आई. की साजिष हो क्योंकि अफजल गुरू की फांसी के बाद से पाकिस्तानी कैदी सरबजीत को गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी दे रहे थे। इस बात की पुष्टी सरबजीत की उस चिट्ठी से भी होती है जो उन्होंने घरवालों को लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी और यहां तक की जेल के अधिकारी और कर्मचारी तक सरबजीत को मारने की साजिश कर रहे हैं। सरबजीत पर हमला तब और दुर्भाग्यपूर्ण हो जाता है, जब उनकी बहन दलबीर कौर पाक जेल में अपने भाई की जान को खतरे की बात बता चुकी हों। उन्होने मांग की कि पाक सरकार सरबजीत को बेहतर से बेहतर इलाज मुहैया करवाऐ और उसका प्रतिदिन आधिकारिक रूप से मेडिकल बुलिटिन जारी करे।
दरगाह दीवान ने कहा कि अमेरिका पर 11 सितंबर, 2001 को हुए आतंकी हमले के लगभग दस साल बाद भी अमरीका का मुस्लिम विरोधी रवैया थम नहीं रहा है अमरीका आऐ दिनों प्रतिष्ठित मुस्लिमों के साथ बदसुलूकी करता है। उन्होने कहा कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खान के साथ एयरपोर्ट पर जिस प्रकार का व्यवहार किया गया वह उसका ताजा उदाहरण हैं और जो निन्दनीय है। इसके अलावा अमरीकी अधिकारियों द्वारा भारत के मुस्लिम रहनुमाओं , धर्म गुरूओं , राजनेताओं के साथ अशोभनीय व्यवहार किया जाता रहा है। उनहोने कहा कि बाहेसियत भारत की सबसे बड़ी दरगाह के धर्म गुरू, अमरीका की इस गैर जिम्मेदाराना हरकत की कड़े शब्दों में निन्दा करते है जब भारत के हाई प्रोफाईल लोगों के साथ अमरीका के अधिकारियों का व्यवहार असम्मानीय है तो आम मुंिस्लम के साथ क्या होता होगा। भारत के मुसलमानों के सम्मान ओर अस्मिता से जुड़े इस महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील मसले पर अमरीकी सरकार के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराना चाहिये

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