प्राण को संतुलित करते हुए आयामित करना ही प्राणायाम

अशोक विहार, सुभाष नगर में निःशुल्क योग शिविर का संचालन
WP_000297प्राण को संतुलित करते हुए आयामित करना ही प्राणायाम है। हमारे शरीर में जितनी भी चेष्टाएँ होती हैं, सभी का प्राण से प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध है। प्रतिक्षण जीवन और मृत्यु का अटूट संबंध की डोर हमारा प्राण ही है। आयुर्वेद एवं अर्थववेद में कहा गया है कि प्राण और अपान ये दोनों ही मेरी मृत्यु से रक्षा करें। प्राणायाम में हम एक क्रमबद्ध तरीके से श्वास-प्रश्वास को संतुलित रूप से संपादित करते हैं। योग एवं आयुर्वेद सिस्टम बेस्ड चिकित्सा है जबकि एलौपैथी सिम्टम बेस्ट चिकित्सा पद्धति है। योग एवं आयुर्वेद से शरीर का पूरा सिस्टम ही ठीक हो जाता है। आज का विज्ञान यह मान चुका है कि अधिकांश बीमारियाँ मधुमेह, थायरॉयड, उच्च रक्तचाप, रक्त परिसंचरण में बाधा, मोटापा, मस्तिष्कगत रोग आदि सभी बीमारियाँ अंतःस्रावी गं्रथियों के अनियंत्रित रूप से कार्य करने के कारण होती हैं। अतः प्राणायाम द्वारा इन ग्रंथियों से सुचारू रूप से कार्य कराते हुए हम इन सभी व्याधियों से मुक्ति पा सकते हैं।
उक्त विचार पतंजलि योग समिति के महामंत्री स्वतन्त्र शर्मा ने सुभाष नगर, नारीशाला के पास स्थित अशोक विहार में आयोजित निःशुल्क योग शिविर के अवसर पर योग का प्रशिक्षण प्रदान करते हुए व्यक्त किए। उक्त शिविर प्रातः 5.15 से 6.30 तक रखा चल रहा है।
योगाचार्य विश्वास पारीक ने भी उपस्थित साधकों को प्राणायाम एवं आसनों का अभ्यास कराया तथा बताया कि आसन से योगी रजोगुण को, प्राणायाम से पापवृत्ति को और प्रत्याहार से मानसिक विकारों को दूर कर सकता है।
जिला महामंत्री
पतंजलि योग समिति
दूरभाष 9414259410

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