अजमेर। संभाग के सबसे बड़े जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में गुरूवार को डॉक्टर्स की लापरवाही और असंवेदनशीलता का खामियाजा परिजन की आहूति देकर उठाना पड़ा। पहला वाक्या डॉ शरद जैन से जूड़ा हैं। मृतक रोशनलाल के बेटंे अशोक सचदेवा का आरोप है कि पिता रोशनलाल को गंभीर बिमारी होने के बावजूद आपात कालीन वॉर्ड की जगह नॉर्मल वॉर्ड मे रखा गया। साथ ही जब डॉ शरद जैन को मरीज की ज्यादा बिगड़ती हालत का हवाला दिया गया तो डॉ शरद जैन ने फोन पर उन्हें परेशान न करने की हिदायत देकर फोन पटक दिया। इस असंवेदनशीलता और लापरवाही के चलते रोशनलाल की मौत हो गयी।
शिशु वॉर्ड भी चल रहा है भगवान भरोसे
दूसरा वाक्या जेएलएन अस्पताल के शिशु वॉर्ड का हैं जहां डॉ अर्चला आर्य सहित स्टाफ की लापरवाही के चलते 6 माह के सचिन की जान पर बन आयी। सचिन के पिता ओम प्रकाश का आरोप है कि पिछले 9 दिनो से निमोनिया के शिकार सचिन को शिशु वॉर्ड के चिकित्सक और स्टाफ सही तरीके से नही देख रहे। 5 दिन पहले बच्चे को चढ़ाने के लिए मंगाया गया एक यूनिट खून भी नही चढ़ाया गया और न ही उसे वापस ब्लड़ बैंक में जमा कराने दिया। जिसके चलते खून खराब हो गया। वहीं डॉ आर्य और दूसरे चिकित्सक बच्चे के लिए मंहगी दवाईयां लिख रहे है जो बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं, जबकि मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना में सभी तरह की जैनरिक दवाइयां उपलब्ध है। लेकिन मेडिकल स्टोरो से मंहगी दवाईयों की ऐवज में डॉक्टर्स को मिलने वाले कमिशन के चलते अस्पताल में संवेदनाओं को दरकिनार किया जा रहा हैं।