केदारनाथ में आई आपदा का आंखें देखा हाल

kedarnathचारों तरफ बिखरी हैं लाशें ! केदारनाथ से लौटे सह वेदपाठी ने बयां की आंखों देखी !!
रुद्रप्रयाग। दो दिन से केदारनाथ में जिंदगी व मौत से जूझने के बाद मंगलवार को कृषि मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के साथ लौटे केदारनाथ मंदिर में सह वेदपाठी रविंद्र भट्ट के चेहरे पर अब भी खौफ दिखाई दे रहा है। रविंद्र ने बताया कि 16 जून को शाम आठ बजे तक धाम में सब कुछ सामान्य था। हल्की बारिश भी लगी हुई थी, लेकिन अचानक 8.15 बजे मंदिर के ऊपर से एक पानी का सैलाब आता दिखाई दिया। इसे देखकर मैं दूसरी तरफ दौड़ा और नदी में कूद गया। मेरे कूदते ही पानी मंदिर से टकराकर इसके अगल-बगल के हिस्से को तबाह करता हुआ आगे बढ़ा। जिसके वेग से नदी ने एक उछाल लिया और मैं दूसरी तरफ छटक गया। इसके बाद मैं अन्य तीर्थ यात्रियाें की तरह मंदिर में शरण लेने पहुंच गया। रातभर लोग एक दूसरे को ढ़ाढस बंधाते हुए बारिश रुकने की प्रार्थना करते रहे। रात कब गुजरी किसी को पता नहीं चली। 17 जून को सुबह 6.55 बजे पानी के गोले ने धाम में तबाही मचाई और आगे बढ़ गया। उन्हाेंने बताया कि इससे धाम में चाराें ओर लाशें बिखरी हुई है।
जिला अस्पताल में उपचार करा रहे सीओ आर. डिमरी बताते है कि वह और एसडीएम राकेश तिवारी रात में पानी बढ़ने पर लोनिवि गेस्ट हाउस छोड़कर केदारनाथ मंदिर के बगल में स्थित धर्मशाला में जाने को तैयार होते हैं, लेकिन तभी तेज पानी आता है और वे बह जाते हैं। बड़ी मुश्किल से वह बाहर निकल कर मंदिर में पहुंचते हैं। 16 की रात को भारत सेवा आश्रम में पानी घुस जाता है। 17 की सुबह लगभग सात बजे गांधी सरोवर से तेज पानी की बौछार पत्थराें व बोल्डराें के साथ मंदिर पर जोर मारती है। जिससे मंदिर के अगल-बगल कटाव हो गया। वह किसी तरह मंदिर के अंदर घुसकर एक पिलर को पकड़ लेते हैं। पानी वीआईपी गेट से घुसता है मुख्य दरवाजे से बाहर निकल गया। वह बताते हैं कि कई पुलिस व पीएसी के जवानाें का कोई पता नहीं हैं। पुलिस जवान महेंद्र भट्ट व पीएसी जवान विकास गुसाईं बताते हैं कि सबसे अधिक नुकसान 17 जून की सुबह आई बाढ़ ने किया। वह दो दिन से भैरवनाथ मंदिर में ही बैठे रहे।
गौरीकुंड से महेश बगवाड़ी ने बताया कि उन्हाेंने कुछ लोगाें को पानी में बहते देखा था। भारत सेवा आश्रम की धर्मशाला में तीन सौ यात्री थे, उनका पता नहीं है।
हम सभी, बाबा केदारनाथ से ये प्रार्थना करते हैं की इस तरह की घटना देवभूमि उत्तराखंड में फिर से न घटे..
-नाथू शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

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