अजमेर। भूमि के बदले भूमि आवंटन के लिए रिश्वत के तौर पर प्लाट और रुपए की डिमांड करने के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई हैं। इसमें नगर सुधार न्यास अध्यक्ष नरेन शाहनी भगत, दो प्रॉपर्टी डीलर, न्यास के उप नगर नियोजक, न्यास के पूर्व ओएसडी और कार्यवाहक सचिव को नामजद किया गया है। तीनों मामलों में जांच के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी संभव है।
डीआईजी पुरोहित के अनुसार नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष नरेन शाहनी, प्रॉपर्टी डीलर मनोज गिदवानी और महेश अग्रवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7, 8 और 13 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। न्यास के पूर्व कार्यवाहक सचिव निशु अग्निहोत्री के खिलाफ रिश्वत राशि प्राप्त करने और डिमांड करने के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 व 13 के तहत और न्यास के उप नगर नियोजक साहिब राम जोशी के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
जांच अधिकारी डीएसपी भीम सिंह बीका की रिपोर्ट के अनुसार न्यास सदर नरेन शाहनी, प्रापर्टी डीलर मनोज गिदवानी और महेश अग्रवाल पर आरोप तय कर दिए गए हैं। आरोप हैं कि न्यास अध्यक्ष ने प्रापर्टी डीलर गिदवानी और अग्रवाल के माध्यम से शिकायत कर्ता अजमत खान से रिश्वत के तौर पर प्लाट और रुपए की डिमांड की। प्रॉपर्टी डीलर गिदवानी ने डिमांड के मुताबिक दो प्लाट के कागजात भी अजमत से प्राप्त किए। न्यास के पूर्व कार्यवाहक सचिव निशु अग्निहोत्री पर आरोप है कि उन्होंने मामले की फाइल निपटाने के एवज में शिकायत कर्ता अजमत से रिश्वत के तौर पर एक लाख रुपए की डिमांड की, इसमें से 35 हजार रुपए प्राप्त भी किए। न्यास के उप नगर नियोजक साहिब राम जोशी के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने शिकायत कर्ता अजमत से रिश्वत के तौर पर प्लाट की डिमांड की थी। तीनों मामलों में एसीबी के पास आरोपियों और शिकायत कर्ता के बीच बातचीत की रिकार्डिंग है।
नरेन शाहनी व प्रापर्टी डीलरों व अग्रिहोत्री के खिलाफ मामले में धारा 7, 8 और 13-1 और साहिब राम जोशी के खिलाफ धारा 7 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इन धाराओं में दो से सात साल तक की सजा के साथ आर्थिक जुर्माने का भी प्रावधान है।
धारा-7 अर्थात लोक सेवक द्वारा अपने पदीय कार्य के समय वैध पारिश्रमिक से भिन्न पारितोषण मांग करना और ग्रहण करने की कोशिश करना। (पांच साल सजा, आर्थिक जुर्माना)
धारा-8 अर्थात लोक सेवक पर भ्रष्ट या अवैध साधनों द्वारा असर डालने के लिए पारितोषण की मांग करना और लेने के लिए दबाव डालना। पांच साल सजा, आर्थिक जुर्माना
धारा 13-1 अर्थात यदि लोकसेवक अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए वैध पारिश्रमिक से भिन्न कोई पारितोषण हेतु या ईनाम के रूप में किसी व्यक्ति से प्रतिग्रहण या अभिप्राप्त करता है या प्राप्त करने के लिए सहमत या प्रयत्न करता है।
भगत कहते हैं-जांच में सामने आएगी सच्चाई
भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा दर्ज होने के बाद नगर सुधार न्यास अध्यक्ष नरेन शाहनी भगत ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि जांच के बाद वास्तविकता सामने आ जाएगी कि इस मामले में उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने उनसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा है।