किसी समय में बीहड़ में डकैत पंचमसिंह की तुती बोलती थी आज वही पंचम सिंह अपराधियों केा सुधारने का बीड़ा उठाकर जेल-जेल प्रवचन दे रहे है। प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय के तत्वाधान में आध्यात्म के बल पर राजयोगी बने डाकू पंचमसिंह अब योगी पंचमसिंह के नाम से जाने जाते है। सोमवार को अजमेर के केन्द्रिय कारागृह में प्रवचन देने पहुंचंे पंचमसिंह ने बताया कि साल 1958 में पंचायत चुवानो के दौरान एक पक्ष का सर्मथन करने पर उन्हें विरोधी गुट ने बहुत पीटा। उन्हंे अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। गांव लौटने पर उनका उत्पीडन शुरू हो गया। इसी बीच बदले की भावना ने जोर मारा और वे बीहड में कूद पडे। एक दिन अपने गिरोह के साथ धावा बोला और 6 लोगो को मौत के घाट उतार दिया। 14 साल बीहड में दहशत का पर्याय बनचुके डाकू पंचमसिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी और लेाकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रेरणा से 550 डाकूओं के साथ आत्म सर्मपण किया और जेल में उम्र कैद की सजा भुगतने के दौरान जेल में आयी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य संचालिका दादी प्रकाशमणी के सामने इंदिरा गांधी ने उन्हें चुनौती दी कि इन डकैतो का मन बदलकर दिखायें। दादी जी की प्रेरणा से उनका जीवन बदल गया और आज वे 87 साल की उम्र में भी राजयोग के दम पर खुद भलेचंगे हैं और दूसरो को भी भला बनाने में जूटे है। इस मौके पर जेल अधिक्षक शंकर लाल ओझा, जेलर योगेश तेजी सहित जेल प्रशासन ने ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के आये प्रतिनिधियो का स्वागत सम्मान किया। पंचमसिंह ने सजायाफता बंदियो को राजयोग की महिमा से अवगत कराकर उन्हें अपराध मुक्त जीवन जीने केलिए प्रेरित किया।
